उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (फोटो: PTI)
नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सिविल सेवाओं के प्रति छात्रों के ‘मोह’ पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि छात्रों को सिविल सेवा की नौकरियों के मोह से बाहर निकलने की जरुरत है। उन्हें अन्य क्षेत्रों में उपलब्ध ‘आकर्षक’ अवसरों की तलाश करना चाहिए। धनखड़ दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बौद्धिक संपदा (आईपी) कानून और प्रबंधन में संयुक्त स्नातकोत्तर व एलएलएम डिग्री के पहले बैच के ‘इंडक्शन’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
धनखड़ ने कहा, “… अब, मुझे समाचार पत्रों में कुल मिलाकर कोचिंग सेंटर के विज्ञापनों की भरमार मिलती है … पेज एक, पेज दो, पेज तीन… उन लड़कों और लड़कियों के चेहरों से भरे हुए रहते हैं जिन्होंने सफलता हासिल की है। एक ही चेहरे का उपयोग कई संस्थानों द्वारा किया जा रहा है।” उन्होंने ने कहा, “इन विज्ञापनों की भरमार को देखें… लागत और एक-एक पैसा उन युवा लड़कों और लड़कियों के पास से आया है जो अपना भविष्य सुरक्षित करने की कोशिश में हैं।”
Time has come to step out of the silo of seductive civil service jobs!
There are enormous vistas of opportunities, far more lucrative, that enable you to contribute massively.
You just have to look around.
You’ll find it was rightly being said by the International Monetary… pic.twitter.com/vq23oV1bZL
— Vice-President of India (@VPIndia) August 16, 2024
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उपराष्ट्रपति ने युवाओं से कहा कि वे अन्य क्षेत्रों में भी अवसरों की तलाश करें। उन्होंने कहा, “समय आ गया है, आइए, हम सिविल सेवा की नौकरियों के मोह से बाहर आएं। हम जानते हैं कि अवसर सीमित हैं, हमें दूसरी ओर भी देखना होगा और यह खोजना होगा कि अवसरों के विशाल परिदृश्य कहीं अधिक आकर्षक हैं जो आपको बड़े पैमाने पर (राष्ट्र के लिए) योगदान करने में सक्षम बनाते हैं।
धनखड़ ने युवाओं से आग्रह किया कि वे स्वार्थ को देश के हित से ऊपर रखने वाली ताकतों को दरकिनार करें और उन्हें निष्प्रभावी बनाएं। उन्होंने भारत को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के कारण बौद्धिक संपदा की “सोने की खान” बताया और शिक्षा मंत्री से संसद के प्रत्येक सदस्य को वेद की प्रतियां उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
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उपराष्ट्रपति ने कहा, “वेद, भारतीय दर्शन, आध्यात्मिकता और विज्ञान की नींव बनाने वाले प्राचीन ग्रंथ इस बौद्धिक खजाने के प्रमुख उदाहरण हैं।” उन्होंने छात्रों से वेदों को अपने सिरहाने रखने और “हर चीज़ का समाधान खोजने” के लिए इसका संदर्भ लेने को कहा। धनखड़ ने कहा, “आर्यभट्ट, विश्वकर्मा – देखिए हमारे पास किस तरह का खजाना है। यह हमारी बौद्धिक संपदा है। यह वह बौद्धिक संपदा है जिसका हमें मुद्रीकरण, संरक्षण, रखरखाव और प्रसार करने की जरूरत है।” (एजेंसी एडिटेट)