
बैंक लोन के लिए आवेदन। इमेज-एआई
loan Approval Process: वर्तमान में बैंक लोन देते समय आवेदक का क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं। कैश फ्लो का अंदाजा लगाते और कोलैटरल चेक करते हैं। अब बहुत जल्द वे लोन देने के लिए एक कदम और आगे बढ़ सकते हैं। बहुत जल्द नया नियम आ सकता है। उसके तहत लोन लेने वालों के क्रिमिनल रिकॉर्ड की भी जांच की जा सकती है। इस मकसद से कि लोन देने वाले अब लोन अप्रूव करने का फैसला लेने से पहले कर्ज लेने वालों के क्रिमिनल रिकॉर्ड देखने की लीगैलिटी पर विचार कर रहे।
रिपोर्ट्स के अनुसार हाल में बैंकरों की मीटिंग में इस प्रस्तावित कदम पर विचार किया गया। इसका मकसद गंभीर क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले उधारकर्ताओं के लोन प्रपोजल को शुरू में ही रोकना है। एक बार जब क्रिमिनल रिकॉर्ड चेक करने का फॉर्मल सिस्टम बन जाएगा तो कानून तोड़ने वाले कर्जदारों को फिल्टर किया जाएगा। इससे उन्हें रिकवरी में लगने वाला अधिक समय और पैसे के खर्च बचेंगे।
इस कदम से बैंकरों को ऐसे कर्जदारों से निपटने की परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा, जो अपने खिलाफ रिकवरी की कार्रवाई पर सख्ती दिखाते हैं। इनमें वे लोग भी हैं, जो अपनी गिरवी रखी चीज के जब्त किए जाने की चिंता नहीं करते। बैंकरों का मानना है कि क्रेडिट बढ़ाना जरूरी है, लेकिन इसके लिए और कड़े नियम भी जरूरी हैं। इस कारण हर तरह के लोन देने से पहले बैंक एक और फिल्टर लगाना चाहते हैं।
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मोबाइल ऐप पर लोन क्लियर होने के बाद छोटे लोन लेने वालों के मामले में लोन देने वालों ने खुद जाकर जानकारी इकट्ठा करने का सिस्टम खत्म कर दिया है। अब लोन देना बिना पहचान वाला हो गया है। कंपनियों के मामले में जब क्रेडिट इवैल्यूएशन किया जाता है तो उधारकर्ता की मार्केट में इमेज (रेप्युटेशन) को भी देखा जाता है। मगर, बैंकरों को लगता है कि उधारकर्ताओं के क्रिमिनल रिकॉर्ड पर खास इनपुट से उन्हें अच्छे क्रेडिट फैसले लेने में मदद मिलेगी। जानकार मानते हैं कि यह सहमति, स्पष्टता होने और डेटा-प्रोटेक्शन के नियमों का पालन करने के साथ किया जाए तो कानूनी तौर पर बैंकों को क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी पाने का पूरा हक है।






