नीतीश कुमार (फोटो- सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के बाद अब जेडीयू ने भी अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू ने 57 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है। इस लिस्ट में पार्टी ने अपने छह मौजूदा मंत्रियों और 18 विधायकों को दोबारा मौका दिया है, जबकि दो विधायकों के टिकट काटे गए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि पार्टी की इस पहली सूची में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को जगह नहीं दी गई है। इससे पहले बीजेपी की ओर से जारी 71 नामों की सूची में भी किसी मुस्लिम को टिकट नहीं मिला था। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या एनडीए के दोनों बड़े घटक दलों का भरोसा मुस्लिम समुदाय से उठ गया है।
जेडीयू ने पहली लिस्ट में भले ही किसी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया, लेकिन चार बाहुबली नेताओं पर भरोसा जताया है। पार्टी ने मोकामा सीट से अनंत सिंह, एकमा से धुमल सिंह, कुचाईकोट से अमरेंद्र पांडेय और मांझी विधानसभा सीट से प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। रणधीर सिंह हाल ही में आरजेडी छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए हैं। उनके पिता प्रभुनाथ सिंह आरजेडी के वरिष्ठ नेता रहे हैं और छपरा डबल मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
वहीं, अनंत सिंह पहले आरजेडी से विधायक थे, लेकिन 2024 के चुनाव से पहले उन्होंने नीतीश कुमार का साथ थाम लिया। बताया जा रहा है कि मोकामा की सियासत में अनंत सिंह की पकड़ अब भी मजबूत है, इसलिए जेडीयू ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है।
पहली लिस्ट में जेडीयू ने जातीय संतुलन साधने की भी पूरी कोशिश की है। पार्टी ने 10 अनुसूचित जाति (दलित) और छह भूमिहार समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिया है। भूमिहार समुदाय से आने वाले नामों में विजय कुमार चौधरी, अनंत सिंह, पुष्पंजय, अजीत कुमार, राजकुमार सिंह और धुमल सिंह शामिल हैं। वहीं, दलित वर्ग से सिंघेश्वर से रमेश ऋषिदेव, सोनबरसा से रत्नेश सादा, कुशेश्वरस्थान से अतिरेक कुमार, सकरा से आदित्य कुमार, भोरे से सुनील कुमार, राजापाकर से महेन्द्र राम, कल्याणपुर से महेश्वर हजारी, अलौली से रामचंद्र सादा, राजगीर से कौशल किशोर, फुलवारी से श्याम रजक, मसौढ़ी से अरुण मांझी और राजपुर से संतोष कुमार निराला को टिकट दिया गया है।
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जेडीयू की इस सूची से यह साफ संकेत मिलता है कि पार्टी ने जातीय गणित को ध्यान में रखकर टिकटों का बंटवारा किया है, लेकिन मुस्लिम समुदाय की अनदेखी राजनीतिक चर्चाओं का नया मुद्दा बन चुकी है। नीतीश कुमार की यह रणनीति आगामी चुनाव में क्या रंग दिखाएगी, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।