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Bihar Assembly Elections: बिहार चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे के समीकरण ने महागठबंधन और एनडीए दोनों को उलझा दिया है। सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के भीतर उच्चस्तरीय बैठकों का दौर शुरू हो गया है। संकेत मिल रहे हैं कि एनडीए में सीटों का बंटवारा अब पटना में नहीं, बल्कि दिल्ली में तय होगा।
दरअसल, लोजपा (रामविलास) के सभी वरिष्ठ और वरिष्ठ नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। दिल्ली में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के आवास के बाहर इन नेताओं का जमावड़ा इस बात का संकेत है कि अगले 24 से 48 घंटों में कुछ महत्वपूर्ण होने वाला है।
सीट बंटवारे को लेकर चिराग पासवान अगले कुछ घंटों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करने वाले हैं। हालांकि, बैठक से पहले सामने आ रही जानकारी भाजपा और जदयू के कई मौजूदा विधायकों और बिहार सरकार के कुछ मंत्रियों को चौंका सकती है।
चिराग पासवान ने 22-25 नेताओं की एक सूची तैयार की है, जिन्हें वह बिहार चुनाव में टिकट देने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, इनमें से कई सीटें जदयू या भाजपा के मौजूदा विधायकों के पास हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या अगले 48 घंटों में कुछ बड़ा होगा?
सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान किसी भी हालत में 20 से कम सीटें नहीं चाहते। अगर 45 सीटें नहीं मिलतीं, तो चिराग कम से कम 22 सीटें चाहते हैं, जिसके लिए वह पूरी तरह तैयार हैं। वह राज्यसभा की एक सीट के लिए भी दावा पेश कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से चिराग पासवान की मुलाकात से पहले, भाजपा और जदयू के कई मौजूदा विधायक चिंतित हैं।
दरअसल, चिराग पासवान ने 22 से 25 विधानसभा क्षेत्रों की एक सूची तैयार की है, जिसमें उन सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम भी शामिल हैं। चिराग पासवान की मांग है कि ये सीटें उन्हें दी जाएं। लेकिन इनमें से कई सीटें या तो जदयू के मौजूदा विधायकों के पास हैं या भाजपा के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। एक सीट मांझी की पार्टी हम के पास भी है।
सूत्रों के अनुसार चिराग पासवान की मांगें स्पष्ट हैं। वह किसी भी कीमत पर ये सीटें चाहते हैं। चिराग पासवान जिन प्रमुख सीटों पर नज़र गड़ाए हुए हैं, उनमें ब्रह्मपुर, सोनबरसा, रफीगंज, गोविंदगंज, महुआ, गायघाट, तरैया, महनार, अरवल, नाथनगर, जहानाबाद, ओबरा, सिमरी बख्तियारपुर, कदबा, सिंकदरा, चकाई, मटिहानी, रूपौली, कस्बा, डेहरी, अतरी, साहेबपुर कमाल और अलौली शामिल हैं।
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अगर चिराग पासवान इन सीटों पर चुनाव लड़ने पर अड़े रहते हैं, तो जदयू और भाजपा के मौजूदा विधायक नाराज़ हो सकते हैं। इससे अंदरूनी कलह पैदा हो सकती है। इन 22 सीटों के मौजूदा विधायकों को अब अपने टिकट कटने का डर सता रहा है। यही वजह है कि दोनों दलों के नेताओं में उथल-पुथल का माहौल है।
अमित शाह और जेपी नड्डा के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि चिराग पासवान की महत्वाकांक्षाओं को साधते हुए जदयू और भाजपा के हितों में कैसे संतुलन बनाया जाए। अब अमित शाह और जय प्रकाश नड्डा यह संतुलन कैसे बनाते हैं यह देखना काफी दिलचस्प होने वाला है।