
बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Dhoraiya Assembly Constituency: बिहार के बांका जिले की धोरैया विधानसभा सीट (अनुसूचित जाति आरक्षित), अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक विशिष्टताओं के कारण जिले में एक अलग पहचान रखती है। यह सीट अपनी राजनीतिक अस्थिरता के लिए जानी जाती है, जहां मतदाताओं ने कभी किसी एक दल को स्थायी रूप से प्राथमिकता नहीं दी। इस बार यह सीट जदयू, राजद और जन स्वराज के बीच एक दिलचस्प त्रिकोणीय संघर्ष का केंद्र बनी हुई है, जहां राजद द्वारा चेहरा बदलने और जदयू द्वारा पुराने चेहरे पर भरोसा जताने से चुनावी समीकरण जटिल हो गए हैं।
धोरैया का राजनीतिक इतिहास अस्थिर रहा है, जहां कांग्रेस, सीपीआई और जदयू (समता पार्टी सहित) ने 5-5 बार जीत दर्ज की है। पिछले चुनाव (2020) में राजद ने पहली बार इस सीट पर कब्जा जमाया था, जब भूदेव चौधरी ने जदयू के मनीष कुमार को हराया था।
इस बार राजद ने अपने मौजूदा विधायक भूदेव चौधरी की जगह त्रिभुवन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है, जो पार्टी के लिए एक जोखिम भरा कदम हो सकता है। वहीं, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने पराजित उम्मीदवार मनीष कुमार पर फिर से विश्वास जताते हुए उन्हें टिकट दिया है।इन दोनों मुख्य दलों के अलावा, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से सुमन पासवान मैदान में हैं, जो अनुसूचित जाति के वोटों में सेंध लगाकर मुकाबले को और भी अप्रत्याशित बना सकते हैं।
1951 में स्थापित इस सीट का राजनीतिक इतिहास दर्शाता है कि यहां की जनता ने हमेशा बदलते समीकरणों के आधार पर मतदान किया है।कांग्रेस और वामपंथी दल (सीपीआई) का कभी यहां मजबूत आधार था, लेकिन हाल के दशकों में यह मुकाबला जदयू और राजद के बीच केंद्रित हो गया है। 1969 में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत भी यहां के मतदाताओं के अप्रत्याशित मिजाज को दर्शाती है।
चूंकि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, इसलिए दलित वोटों के साथ-साथ यादव, मुस्लिम और अन्य समुदायों की गोलबंदी ही जीत का समीकरण तय करेगी।
धोरैया क्षेत्र अपनी धार्मिक और आर्थिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह इलाका धनकुंड नाथ महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसका इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना माना जाता है। इस मंदिर की संरचना में मुगलकालीन स्थापत्य के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं, जो क्षेत्र के सांस्कृतिक संगम को दर्शाते हैं।
वहीं, राजौन प्रखंड के दुर्गा बाजार की दुर्गा मंडप अपनी बनारस शैली पर आधारित पूजा परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी ख्याति बिहार और झारखंड तक फैली हुई है। धोरैया क्षेत्र के आसपास आधा दर्जन नदियां बहती हैं, जिससे यहां की भूमि अत्यंत उपजाऊ है और अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है।
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धोरैया विधानसभा सीट 2025 में भी एक रोमांचक मुकाबला पेश करेगी, जहां नए चेहरे और पुराने भरोसे के बीच जन सुराज की चुनौती चुनावी समीकरण को पूरी तरह से बदल सकती है।






