वाल्मीकि नगर विधानसभा सीट, डिजाइन फोटो (नवभारत)
Valmiki Nagar Assembly Seat Profile: सामान्य श्रेणी की यह सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई और तब से जेडीयू ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी इस बार भी जनता का भरोसा जीत पाएगी।
वाल्मीकि नगर का नाम महर्षि वाल्मीकि के आश्रम से जुड़ा है, जहां देवी सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था। यही वह स्थल है जहां महर्षि ने रामायण की रचना की थी। यह क्षेत्र धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां स्थित वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान बिहार का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है, जो नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से सटा हुआ है।
करीब 880 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान का 335 वर्ग किलोमीटर हिस्सा बाघ अभयारण्य के रूप में संरक्षित है। यहां बाघ, चीतल, सांभर, तेंदुआ, नीलगाय जैसे वन्यजीवों के साथ-साथ दुर्लभ एकसिंगी गैंडा और जंगली भैंसा भी देखे जाते हैं। यह क्षेत्र पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन चुका है।
वाल्मीकि नगर की पहचान गंडक नदी पर स्थित बहुउद्देशीय परियोजना से भी जुड़ी है। इस परियोजना से 15 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है और इसकी नहरें उत्तर-पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों को सिंचित करती हैं। यह बांध पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था और आज भी क्षेत्र की जीवनरेखा बना हुआ है।
इस क्षेत्र में बेतिया राज द्वारा निर्मित प्राचीन शिव मंदिर और शिव-पार्वती मंदिर भी स्थित हैं, जो स्थानीय धार्मिक आस्था का केंद्र हैं। सावन और अन्य पर्वों पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जिससे यह क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से भी जीवंत बना रहता है।
वाल्मीकि नगर विधानसभा सीट पर अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं। 2010 में जेडीयू के राजेश सिंह ने जीत दर्ज की थी। 2015 में धीरेंद्र प्रताप सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की और 2020 में जेडीयू में शामिल होकर सीट को बरकरार रखा। यह ट्रेंड दर्शाता है कि व्यक्तिगत जनाधार और स्थानीय प्रभाव यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
2020 के चुनाव में इस सीट पर करीब 58.90 प्रतिशत मतदान हुआ था। कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3.32 लाख थी, जिसमें से 1.95 लाख से अधिक ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह आंकड़ा बताता है कि क्षेत्र में राजनीतिक जागरूकता तो है, लेकिन मतदान प्रतिशत को और बढ़ाने की जरूरत है।
इस बार के चुनाव में सामाजिक समीकरण, प्रशासनिक उपेक्षा, आधारभूत ढांचे की कमी और आदिवासी जनसंख्या की भूमिका अहम हो सकती है। क्षेत्र में विकास की गति धीमी रही है, जिससे विपक्ष को मुद्दा मिल सकता है। वहीं, जेडीयू को अपनी उपलब्धियों और संगठनात्मक मजबूती के सहारे जनता का भरोसा फिर से जीतना होगा।
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वाल्मीकि नगर विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव केवल राजनीतिक दलों की परीक्षा नहीं, बल्कि जनता की अपेक्षाओं और क्षेत्रीय विकास की दिशा तय करने वाला भी साबित हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वाल्मीकि की तपोभूमि पर किस दल को जनता का आशीर्वाद मिलता है।