फारबिसगंज विधानसभा (फोटो-सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Election 2025: बिहार के अररिया जिले की फारबिसगंज विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एक राजनीतिक किला बन चुकी है। 2005 से लगातार यह सीट भाजपा के कब्ज़े में है, जिसने पिछले दो दशकों के बिहार के राजनीतिक उलटफेरों के बावजूद अपना वर्चस्व अडिग बनाए रखा है।
फारबिसगंज एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है, जो अररिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इसका नामकरण ब्रिटिश अधिकारी अलेक्जेंडर फोर्ब्स के नाम पर हुआ था, और अपनी सीमावर्ती स्थिति (नेपाल सीमा से महज 8 किमी दूर) तथा बरौनी-कटिहार-राधिकापुर रेल लाइन पर होने के कारण यह एक प्रमुख व्यापारिक, प्रशासनिक और शैक्षणिक केंद्र बना हुआ है।
1951 में स्थापित इस सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस का दबदबा रहा और उसने यहाँ कुल आठ बार जीत हासिल की। हालांकि, 1990 के बाद इस सीट की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल गई। अगर 1990 से राजनीति का हाल देखें तो जनता दल के उदय के बाद साल 1990, 1995, और 2005 (दोनों चुनाव सहित) में भाजपा ने यहाँ परचम लहराया।
वर्तमान समय में भाजपा विधायक विद्यासागर केशरी इस सीट से लगातार दो बार (2015 और 2020) जीत चुके हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि फारबिसगंज आज भाजपा का है। 2020 विधानसभा चुनाव में विद्यासागर केशरी ने कांग्रेस के जाकिर हुसैन खान को 19,702 मतों के बड़े अंतर से हराया था।
फारबिसगंज में जातीय समीकरण भाजपा के पक्ष में मजबूत रहे हैं। यहां पर लगभग 33.80 प्रतिशत (1,15,176 ) मुस्लिम मतदाता हैं, जो कांग्रेस व राजद गठबंधन का कोर वोट बैंक माना जाता है, बावजूद इसके भाजपा का वर्चस्व कायम है।
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2024 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा का दबदबा कायम रहा, जहाँ प्रदीप कुमार सिंह ने राजद के मोहम्मद शहनवाज आलम को बड़े अंतर से हराया था। यह इस बात का प्रमाण है कि भाजपा यहाँ मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को सफलतापूर्वक निष्प्रभावी कर देती है। 2024 के लोकसभा चुनावों तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,56,438 तक पहुँच गई है।
फारबिसगंज गंगा-कोसी के जलोढ़ मैदानों में बसा है, जहाँ की मिट्टी उपजाऊ है। यहां पर धान, गन्ना, जूट प्रमुख फसलें पैदा होती हैं। हालाँकि, मानसून में बाढ़ और जलभराव की समस्या यहाँ के कृषि और बुनियादी ढांचे को प्रभावित करती है, जो आगामी चुनाव में एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा।
इन सभी कारकों को देखते हुए, फारबिसगंज 2025 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए सुरक्षित सीट मानी जा रही है। विपक्ष को यहाँ सेंध लगाने के लिए अपने पारंपरिक मुस्लिम वोटों को एकजुट करने और स्थानीय विकास के मुद्दों पर भाजपा को मज़बूती से घेरने की आवश्यकता होगी।