बिहार चुनाव में शाह का 'ऑपरेशन क्लीन' (फोटो- सोशल मीडिया)
BJP Strategy For Bihar Assembly Election: बिहार विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है और बीजेपी अपनी पार्टी के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह के नेतृत्व में एक बड़े फेरबदल की तैयारी में है। खबर है कि पार्टी इस बार अपने 18 से ज्यादा मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है। यह फैसला लंबे समय से विधायक बने नेताओं के खिलाफ बढ़ती सत्ता-विरोधी लहर को देखते हुए लिया जा रहा है। बीजेपी इस बार किसी भी हाल में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती और जीत के लिए हर समीकरण को साधने में जुटी हुई है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उम्मीदवारों की सूची लगभग तय हो चुकी है और 6 अक्टूबर के बाद चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान के साथ ही इसे जारी किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि BJP 101, JDU 102 और चिराग पासवान की पार्टी 22 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद 145 से 150 सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर गहन चर्चा की है, जिसमें बेतिया, समस्तीपुर, अररिया और सीमांचल क्षेत्र की कई सीटें शामिल हैं।
बीजेपी उन 35 सीटों पर खास ध्यान दे रही है, जहां 2020 में उसे मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। इनमें मुजफ्फरपुर, किशनगंज, सीवान और तेजस्वी यादव की सीट राघोपुर भी शामिल है। पार्टी के भीतर यह चर्चा तेज है कि जिन विधायकों का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है या जिनके खिलाफ जनता में नाराजगी है, उनकी जगह नए और युवा चेहरों को मौका दिया जाएगा। मनेर सीट पर बीजेपी के राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के महासचिव निखिल आनंद अपनी लगातार सक्रियता से आरजेडी विधायक भाई बीरेंद्र के खिलाफ मजबूत पकड़ बना रहे हैं। पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के ‘नारी-शक्ति’ और ‘युवा-शक्ति’ के नारे को जमीन पर उतारते हुए युवा और महिला उम्मीदवारों पर भी दांव लगा सकती है।
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इस बार बीजेपी बिहार में अपना ‘मध्य प्रदेश मॉडल’ भी आजमा सकती है, जिसके तहत मौजूदा और पूर्व सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया जाएगा। चर्चा है कि सारण सांसद राजीव प्रताप रूडी, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, और पूर्व सांसद राम कृपाल यादव व आरके सिंह जैसे बड़े नामों को विधानसभा के मैदान में उतारा जा सकता है। वहीं, दूसरी तरफ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि बिहार भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के टाइम बम पर बैठा है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘भ्रष्टाचार का धृतराष्ट्र’ तक कह डाला।