रानीगंज विधानसभा सीट (फोटो-सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Election 2025: बिहार के अररिया जिले में स्थित रानीगंज विधानसभा सीट (SC आरक्षित) पिछले 20 सालों से भाजपा और जदयू (NDA) का गढ़ रही है। 1957 में अस्तित्व में आई यह सीट अररिया जिला मुख्यालय से 27 किमी पश्चिम में स्थित एक महत्वपूर्ण ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ की राजनीति में अनुसूचित जाति (SC) के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका रही है।
रानीगंज उत्तर बिहार के तराई क्षेत्र में स्थित एक निचला इलाका है, जो कोसी और महानंदा नदियों के करीब है। यहाँ की उपजाऊ मिट्टी पर धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं, लेकिन मानसून में जलजमाव और बाढ़ की चपेट में रहना यहाँ की प्रमुख समस्या है।
रानीगंज सीट पर अब तक 16 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें राजनीतिक दलों के दबदबे में बड़ा बदलाव आया है। शुरुआती दौर (1957-1985) तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ थी, जिसने इस दौरान पाँच बार जीत हासिल की। लेकिन इसके बाद बदलते राजनीतिक हालात में कांग्रेस की जड़ें कमजोर होने के बाद जनता दल (दो बार), निर्दलीय (दो बार), और राजद (एक बार) ने भी यहाँ से जीत हासिल की।
साल 2005 के दोनों चुनावों में भाजपा ने यहाँ से जीत हासिल की, और यह वर्चस्व 2020 तक जारी रहा। 2015 में NDA गठबंधन टूटने पर, जदयू के अचमित ऋषिदेव ने भाजपा उम्मीदवार को 14,930 मतों से हराया। वहीं 2020 में NDA के एकजुट होने पर, जदयू के अचमित ऋषिदेव ने राजद के अविनाश मंगला को 2,304 मतों के मामूली अंतर से हराया। यह मामूली जीत का अंतर स्पष्ट करता है कि NDA की पकड़ अब उतनी सहज नहीं रही है।
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रानीगंज का चुनावी समीकरण यहाँ के सामाजिक ताने-बाने से गहराई से प्रभावित है। इलाके के SC मतदाता खास होते हैं। आरक्षित सीट होने के कारण, SC वोटर यहाँ निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वहीं यहाँ के 31.40 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता महागठबंधन (राजद/कांग्रेस) का कोर वोटबैंक हैं।
2024 तक 5,714 मतदाताओं का सूची से हटना रोजगार और औद्योगिकीकरण की कमी को दर्शाता है, जो 2025 में एक बड़ा मुद्दा बनेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या 3,47,959 तक पहुँच गई। 2025 के चुनाव में जदयू (NDA) को अपनी सीट बचाने के लिए बाढ़ नियंत्रण, रोजगार सृजन और SC-EBC वोटों को एकजुट रखने पर विशेष ध्यान केंद्रित करना होगा। वहीं, राजद गठबंधन मुस्लिम-यादव समीकरण और एंटी-इन्कम्बेंसी को भुनाने की पूरी कोशिश करेगा।