
अनंत सिंह को गिरफ्तार करके ले जाती पुलिस (सोर्स- सोशल मीडिया)
Mokama Murder Case: अनंत सिंह को पटना पुलिस ने शनिवार की रात गिरफ्तार कर लिया। अनंत सिंह की गिरफतारी के बाद मोकामा में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि दो चार दिन बाद होने वाले इस चुनाव में किसको कितना लाभ होगा। मोकामा विधानसभा सीट से अनंत सिंह जेडीयू प्रत्याशी हैं। हालांकि शनिवार को उनकी गिरफ्तारी के बाद पटना पुलिस ने उन पर कई गंभीर धाराएं लगा दी है।
चुनाव आयोग की सक्रियता के बाद पटना पुलिस ने उनको गिरफ्तार किया है। पटना पुलिस ने जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के आरोप में अनंत सिंह को गिरफ्तार किया है। उनकी इस गिरफ्तारी का बिहार विधानसभा चुनाव पर कितना असर पड़ेगा। इसपर चर्चा शुरू हो गई है। यह घटना चुनाव से ठीक कुछ दिनों पहले हुई है, जब मोकामा सीट पर 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान होना है।
अनंत सिंह भूमिहार समुदाय से हैं। अनंत सिंह के खिलाफ आरजेडी ने भी बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को अपना प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही भूमिहार समुदाय से आते हैं। दोनों की क्षेत्र में भी मजबूत पकड़ है। यहां के लोगों का कहना है कि अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद जो पहले भूमिहारों का वोट बटने की उम्मीद थी वो खत्म हो गई। अब मोकामा में लड़ई भूमिहार और यादव के बीच हो गई है। भूमिहार जाति से संबंध रखने वाले कहते हैं कि सूरजभान सिंह से सहानभूति है।
लेकिन, बात समाज की है। हम समाज से अलग कैसे जा सकते हैं। सहानुभूति की वजह मोकामा में चुनाव जातिगत राजनीति भूमिहार बनाम यादव हो गई है। इधर, दुलारचंद यादव के समर्थक कहते हैं कि समाज की बात है। मोकामा में तो हम अनाथ हो गए हैं। कम से कम लालू जी के हाथ को तो मजबूत कर दे। इधर जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शनी को भी यादव समाज पर ही भरोसा है।
यह भी पढ़ें: बिहार में बनेगी किसकी सरकार? जवाब दे रहा फलोदी सट्टा बाजार, जानिए तेजस्वी-नीतीश में कौन मारेगा बाजी
मोकामा में भूमिहार 30 प्रतिशत, यादव 20 प्रतिशत, राजपूत 10 प्रतिशत, कुर्मी, कोइरी जैसी अतिपिछड़ी जातियां20 से 25 प्रतिशत,दलित 16 से 17 प्रतिशत, मुस्लिम 5 प्रतिशत हैं।
मोकामा विधानसभा सीट पर करीब साढ़े तीन दशकों से अनंत सिंह और उनके परिवार का ही कब्जा है। 1990 में अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह जनता दल के टिकट पर विधायक चुने गए और 1995 में भी वो दूसरी बार जीतने में कामयाब रहे। लेकिन, वर्ष 2000 में दिलीप सिंह बाहुबली सूरजभान सिंह से चुनाव हार गए।
इसके पांच साल बाद 2005 में अनंत सिंह पहली दफा जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े और चुनाव जीत भी गए। इसके बाद 2020 तक लगातार अनंत सिंह और उनेक परिवार का ही इस सीट पर कब्जा रहा। तीन बार जेडीयू के टिकट पर अनंत सिंह विधायक बने।
यह भी पढ़ें: Mokama में अनंत सिंह के बाद जन सुराज के पीयूष भी होंगे गिरफ्तार, DGP बोले- चुन-चुन करेंगे कार्रवाई
नीतीश कुमार से अनबन होने पर साल 2015 में निर्दलीय चुनाव लड़े और चुनाव भी जीत गए। फिर वे 2020 में आरजेडी के टिकट पर विधायक बने। लेकिन, 2022 में सजा होने पर अनंत सिंह की सदस्यता चली गई। इसके बाद अनंत सिंह ने अपनी पत्नी नीलिमा देवी को उपचुनाव लड़ाया और वो भी चुनाव जीत गई। 2025 का विधानसभा चुनाव अनंत सिंह फिर से जेडीयू के टिकट पर लड़ रहे हैं।






