E20 Fuel India में क्या करने वाला है। (सौ. AI)
Vehicle Insurance India: भारत में सरकार द्वारा E20 फ्यूल (20% इथेनॉल + 80% पेट्रोल) को बढ़ावा देने की पहल अब आम वाहन मालिकों और बीमा कंपनियों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। जहां इसका उद्देश्य स्वच्छ ईंधन और कम आयात पर निर्भरता को बढ़ावा देना था, वहीं अब इससे मेंटेनेंस खर्च और बीमा दावों में नई जटिलताएं सामने आ रही हैं।
लोकलसर्कल्स के ताज़ा सर्वे के अनुसार, पेट्रोल वाहनों की मेंटेनेंस लागत पिछले दो महीनों में लगभग दोगुनी हो गई है। अगस्त 2025 में यह लागत 28% थी, जो अक्टूबर तक बढ़कर 52% पहुंच गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले से ही महंगे पेट्रोल दामों के बीच अब कार मालिकों पर E20 फ्यूल की वजह से मेंटेनेंस का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। कई लोगों का कहना है कि अगर यह फ्यूल ऑप्शनल रखा जाए और इसकी कीमत पेट्रोल से 20% कम की जाए, तो वे इसे अपनाने को तैयार हैं। “हम पर्यावरण विरोधी नहीं हैं, लेकिन सरकार को वाहन मालिकों पर बिना तैयारी के नई नीति नहीं थोपनी चाहिए,” सर्वे में एक कार मालिक ने कहा।
बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि E20 फ्यूल से होने वाले नुकसान को बीमा कवरेज के तहत लाना फिलहाल मुश्किल है। क्योंकि इंजन या मशीन पार्ट्स की खराबी को बीमा में “रासायनिक घिसावट” या “मैकेनिकल वियर एंड टियर” माना जाता है, जिसे आमतौर पर मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता। अगर किसी वाहन को E20 की वजह से नुकसान हुआ है तो यह बीमा दायरे में नहीं आएगा, जब तक कि नुकसान आग या दुर्घटना के कारण न हुआ हो। उदाहरण के लिए, अगर इथेनॉल से इंजेक्टर खराब होते हैं, तो यह मेंटेनेंस का मामला होगा। लेकिन अगर उसी खराबी से इंजन जाम होकर आग लग जाए, तो यह लायबिलिटी केस बन सकता है। इसी बिंदु से वाहन मालिकों और बीमा कंपनियों के बीच विवाद शुरू हो जाते हैं।
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बीमा एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब समय आ गया है जब पॉलिसी के नियमों में बदलाव किया जाए। इथेनॉल से होने वाले नुकसान या अपवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना जरूरी है, वरना आने वाले समय में यह विवाद और बढ़ सकते हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने E20 की ओर बहुत तेज़ी से रुख किया है, और पुराने वाहनों के मालिकों को अब ईंधन, मरम्मत और बीमा विवादों का पूरा बोझ उठाना पड़ रहा है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इन शिकायतों को गलत जानकारी बताया है। सरकार का कहना है कि E20-कंपैटिबल वाहन 2023 से ही बाजार में मौजूद हैं, और यह कार्यक्रम स्वच्छ ईंधन, कम पेट्रोल आयात और किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। E20 फ्यूल को अप्रैल 2023 में कुछ शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था और अब यह पूरे देश में लागू हो चुका है।