E20 को लेकर क्या है परेशानी। (सौ. Freepik)
E20 fuel compatibility: देश में अब पेट्रोल पंपों पर E20 फ्यूल उपलब्ध कराया जा रहा है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में भी बदलाव देखने को मिला है, जहां नई लॉन्च होने वाली ज्यादातर बाइक्स और कारें E20 फ्यूल कम्पैटिबल इंजनों के साथ आ रही हैं। इन इंजनों को खासतौर पर इस नए फ्यूल मिक्स के हिसाब से डिजाइन किया गया है, जिससे बेहतर परफॉर्मेंस और पर्यावरण के अनुकूल ड्राइविंग का लक्ष्य हासिल किया जा सके। लेकिन पुराने वाहनों के लिए ये परेशानी का कारण बन गया है।
जहां नए वाहनों में E20 फ्यूल आसानी से इस्तेमाल हो रहा है, वहीं पुराने वाहन मालिकों के लिए यह समस्या खड़ी करती जा रहा है। दरअसल, पुराने बाइक्स और कारों के इंजन को E10 फ्यूल के हिसाब से बनाया गया था। ऐसे में E20 फ्यूल का इस्तेमाल करने पर माइलेज और इंजन एफिशिएंसी में कमी आ रही है।
ऑटो एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पुराने इंजन E20 फ्यूल को पूरी तरह से बर्न नहीं कर पाते, जिससे फ्यूल कंजम्पशन बढ़ जाता है और माइलेज कम हो जाता है। साथ ही, लंबे समय तक E20 का इस्तेमाल इंजन के पार्ट्स पर भी असर डाल सकता है, जिससे मेंटेनेंस कॉस्ट बढ़ने की संभावना रहती है और अनचाहा खर्चा भी हो सकता है।
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण का स्तर और बढ़ाया जाए, ताकि फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम हो और प्रदूषण में कमी लाई जा सके। E20 फ्यूल का उद्देश्य पर्यावरण के लिए फायदेमंद होना है, लेकिन पुराने वाहनों के मामले में इस पर सावधानी से विचार करने की जरूरत है।
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विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पुराने वाहन मालिक E20 फ्यूल का नियमित इस्तेमाल न करें, खासकर अगर उनका वाहन E10 कम्पैटिबल है। साथ ही, समय-समय पर इंजन की सर्विसिंग और जांच करवाना भी जरूरी है। अगर संभव हो, तो भविष्य में E20 कम्पैटिबल नया वाहन लेने पर विचार किया जा सकता है, जिससे फ्यूल से जुड़ी समस्याओं से बचा जा सके।
E20 फ्यूल का इस्तेमाल देश को ग्रीन एनर्जी की दिशा में आगे बढ़ाने का बड़ा कदम है, लेकिन पुराने वाहनों के लिए यह एक चुनौती भी है। ऐसे में वाहन मालिकों को सतर्क रहना और सही जानकारी के साथ निर्णय लेना बेहद जरूरी है।