नेहरू के गुटनिरपेक्ष की पीएम मोदी की बहुपक्षीय नीति से की जा रही तुलना
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस के कजान शहर गए थे। लंबे समय से चल रहे भारत और चीन के तनाव के बीच पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग पुतिन की धरती पर कायदे से दोनों नेताओं ने एक दूसरे के साथ मुलाकात हुई। दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव पर बातचीत हुई और संबंध सुधारने पर भी सहमति बनी है। भारत की वर्तमान विदेश नीति की जमकर तारीफ हो रही है। वहीं अब इसकी तुलना नेहरू के समय से की जा रही है।
पीएम मोदी हों या उनके नेता जब कभी विदेश की धरती पर राजकीय दौरे पर होते हैं तो वे प्रमुखता से बहपक्षीय नीति की बात करते हैं। नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में विदेश नीति में पड़ोसी प्रथम और बहुपक्षीय कूटनीति अपना रहे हैं। वहीं पीएम मोदी की बहुपक्षीय कूटनीति को नेहरू की गुट निरपेक्ष नीति से जोड़ देखा जा रहा है और कौन कितना प्रभावशाली है, जानने की कोशिश की जा रही है।
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गुटनिरपेक्षता का मतलब है कि कोई देश किसी भी शक्ति गुट या ब्लॉक में शामिल न होकर अपनी स्वतंत्र निर्णय नीति और राष्ट्रीय हित के मुताबिक काम करे।गुटनिरपेक्षता एक अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत है। गुटनिरपेक्षता की नीति को भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनाया था। उन्होंने गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित किया था।
नेहरू की गुटनिरपेक्षता की अवधारणा ने भारत को नए स्वतंत्र राज्यों के बीच काफी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा दिलाई, ‘गुटनिरपेक्ष आंदोलन’ की आधारशिला रखकर भारत नव स्वतंत्र विश्व के नेता के रूप में तथा संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संगठनों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका स्थापित करने में सक्षम हुआ।
बहुपक्षीय कूटनीति एक कूटनीतिक दृष्टिकोण है जिसमें कई देश आम मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम करते हैं। इसमें साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने और राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए संवाद और बातचीत में शामिल होना शामिल है।
बहुपक्षीय समझौतों ने भारतीय विदेश नीति के आर्थिक आधार को आगे लाने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया है । जुलाई में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमने नए विकास बैंक की नींव रखी। इस अनूठी नई पहल का पहला अध्यक्ष एक भारतीय होगा। बहुपक्षीय कूटनीति को पीएम मोदी सिद्धांत भी कहा जाता है।