भारत-चीन की दोस्ती से अमेरिका परेशान (फोटो- सोशल मीडिया)
US Media on India China Friendship: अमेरिका से टैरिफ विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को दो दिवसीय यात्रा के लिए चीन पहुंचे। पीएम मोदी यहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल होगें। हालांकि प्रधानमंत्री इस यात्रा से अमेरिकी प्रशासन और अमेरिकी मीडिया खुश नहीं है और उन्होंने आरोप लगाया कि चीन केवल इसे नए अवसर के तौर पर देख रहा है।
अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को अपने लिए एक रणनीतिक मौका मानते हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि जिनपिंग रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपने पुराने सहयोग को और सशक्त बना रहे हैं। अखबार का यह भी कहना है कि शी जिनपिंग कूटनीति और सैन्य बल के जरिए उस वैश्विक व्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रहे हैं, जिस पर अब तक अमेरिका का प्रभाव कायम रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सचिवालय के सचिव कै क्यूई से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति के साथ हुई अपनी बैठक का जिक्र करते हुए भारत-चीन संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंध आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर आधारित होने चाहिए। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर हुई सार्थक बातचीत पर संतोष व्यक्त किया और कैलाश मानसरोवर यात्रा तथा दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा की शुरुआत को एक सकारात्मक पहल बताया।
दोनों देशों के बीच यह बैठक कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर ऐसे समय में जब चीन को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बार-बार दी जा रही टैरिफ संबंधी धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, अमेरिका द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाए जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ने की आशंका है।
पीएम मोदी और शी जिगपिंग के बीच यह 10 महीने में दूसरी मुलाकात है। इससे पहले दोनों नेता अक्टूबर 2024 में रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। वहीं, रविवार को हुए बैठक के दौरान पीएम मोदी ने शी जिगपिंग को 2026 में भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आने का न्यौता दिया।
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वहीं, जिगपिंग ने भारत के साथ दोस्ती को अहम बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को साथ मिलकर काम करना चाहिए और एक-दूसरे की प्रगति पर खुश होना चाहिए।