रूस-ईरान डील, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Rosatom Iran agreement: रूस और ईरान ने ईरान में छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह करार बुधवार को मॉस्को में हुआ, जहां रूस की परमाणु संस्था रोसाटॉम के प्रमुख अलेक्सी लिखाचेव और ईरान के परमाणु संगठन के प्रमुख व उपराष्ट्रपति मोहम्मद इस्लामी ने दस्तावेज पर साइन किए। रोसाटॉम ने इस परियोजना को एक रणनीतिक कदम बताया है।
मोहम्मद इस्लामी ने जानकारी दी कि ईरान का लक्ष्य 2040 तक 20 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन करना है। इस योजना के तहत 8 नए परमाणु संयंत्र बनाए जाएंगे, जिनमें से 4 दक्षिणी प्रांत बुशहर में स्थापित होंगे। इन प्लांट्स से गर्मी के मौसम और अधिक बिजली खपत वाले महीनों में ऊर्जा संकट को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
फिलहाल ईरान में केवल एक ही परमाणु रिएक्टर सक्रिय है, जो दक्षिणी शहर बुशहर में स्थित है। इसे रूस ने तैयार किया है और इसकी उत्पादन क्षमता 1 गीगावाट है। रूस और ईरान के रिश्ते गहरे माने जाते हैं। अमेरिका और इजरायल की ओर से ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों की रूस ने निंदा की थी।
13 जून को इजरायल ने ईरानी परमाणु ठिकानों और सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए थे। इस कार्रवाई में ईरान की सेना के शीर्ष कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों समेत 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए। इसके जवाब में ईरान ने मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिनमें कई इजरायली नागरिकों की मौत हुई। वहीं, अमेरिका ने भी ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर बमबारी की। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
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11 सितंबर को ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने खुलासा किया कि अमेरिका और इजरायल के हमलों के बाद ईरान का उच्च गुणवत्ता वाला यूरेनियम भंडार मलबे के नीचे दब गया है। अराघची का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी ने ईरान के संवर्धित यूरेनियम भंडार को लेकर गंभीर चिंता जताई है। एजेंसी का कहना है कि जून में ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हुए हमलों के बाद से उसे वहां की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।