
पुतिन की भारत यात्रा के बाद रूस को हिंद महासागर में सैन्य बेस मिलने का प्रस्ताव मिला (सोर्स- सोशल मीडिया)
Russian Naval Base Expansion: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत यात्रा के बाद वापस लौट गए हैं। उनके लौटते ही रूस के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अफ्रीकी देश सूडान ने रूस को लाल सागर के तट पर सैन्य और नौसैनिक बेस देने का ऑफर दिया है। इस कदम से अमेरिका और पश्चिमी देशों की चिंता तेजी से बढ़ गई है।
पुतिन की भारत यात्रा को दुनिया पहले ही एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि मान रही थी, लेकिन इसके तुरंत बाद सूडान से आया प्रस्ताव रूस के लिए और भी बड़ा रणनीतिक फायदा साबित हो सकता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, सूडान ने रूस को रेड सी पर मौजूद अपने तटीय इलाके में मिलिट्री बेस स्थापित करने की अनुमति देने की पेशकश की है। इस बेस पर रूसी सैनिक और युद्धपोत तैनात किए जा सकेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रस्ताव के तहत रूस को पोर्ट सूडान या रेड सी क्षेत्र में 300 तक सैनिक भेजने की अनुमति मिल सकती है। इसके साथ चार युद्धपोत, जिनमें परमाणु ऊर्जा से चलने वाले जहाज भी शामिल हैं, तैनात करने का अधिकार भी होगा। इसके बदले सूडान रूस से एडवांस्ड हथियार, एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम और सैन्य उपकरणों की मांग कर रहा है। सूडान पहले भी इस तरह की अनुमति देने का संकेत दे चुका है, लेकिन अब प्रस्ताव औपचारिक रूप से सामने आया है।
सीरिया में बशर अल असद शासन कमजोर पड़ने के बाद रूस ने भूमध्य सागर में अपनी सैन्य पकड़ काफी हद तक खो दी थी। ऐसे में लाल सागर पर उपस्थिति रूस के लिए बड़ी रणनीतिक जीत होगी। यह क्षेत्र हिंद महासागर, सुएज नहर और बाब-अल-मंदेब जलडमरूमध्य से जुड़ता है, जहां से दुनिया के वैश्विक व्यापार का बड़ा हिस्सा गुजरता है। इसलिए यहां सैन्य ठिकाना रूस की नौसैनिक ताकत को काफी बढ़ा देगा।
सूडान में सेना और RSF के बीच 2023 से चल रहा संघर्ष देश को कमजोर कर चुका है। लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और हजारों की मौत हो चुकी है। पश्चिमी देशों और यूरोपीय संघ से हथियार मिलना लगभग नामुमकिन है, इसलिए सूडान रूस को अपना सबसे भरोसेमंद विकल्प मान रहा है।
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अगर यह डील होती है तो रूस को अफ्रीका में स्थायी सैन्य उपस्थिति मिल जाएगी, साथ ही सूडान की सोने की खदानों सहित कई संसाधनों तक प्राथमिक पहुंच भी मिल सकती है। अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए यह बड़ी चिंता इसलिए है क्योंकि चीन पहले से ही जिबूती में अपना नौसैनिक बेस चला रहा है और अमेरिका का सैन्य अड्डा भी वहीं मौजूद है। रूस की एंट्री इस समुद्री मार्ग में शक्ति संतुलन बदल सकती है।






