डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यदि वे व्हाइट हाउस लौटते हैं, तो यूक्रेन और गाजा युद्ध को कुछ ही दिनों में समाप्त कर देंगे। अमेरिका ने शुरुआत से ही यूक्रेन और इज़राइल को सहायता प्रदान की थी, लेकिन ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली मदद रोक दी और सीधे रूस के साथ शांति वार्ता शुरू कर दी।
हालांकि इज़राइल के मामले में ऐसा देखने को नहीं मिला, ट्रंप आज भी पूरी तरह से इज़राइल के समर्थन में हैं और उसे सैन्य और आर्थिक समेत हर तरह की सहायता प्रदान कर रहे हैं। अमेरिका के हालिया कदमों से ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रंप ने इज़राइल को पूरी स्वतंत्रता दे दी है, जिससे मध्य पूर्व में शांति स्थापित होने के बजाय तनाव और बढ़ सकता है।
पिछले हफ्ते से अमेरिका लगातार हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले कर रहा है, जबकि सोमवार को इज़राइल ने लेबनान, सीरिया और गाजा में फिर से हमले तेज कर दिए। बीते 16 महीनों से चले आ रहे तनाव के दौरान हूतियों ने अमेरिका और इज़राइल के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी की हैं। इस बीच, इज़राइली हमलों के साथ-साथ अमेरिका द्वारा यमन में किए गए हमले इस ओर इशारा करते हैं कि व्हाइट हाउस ने इज़राइल को अपने विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई की पूरी स्वतंत्रता दे दी है वो भी बिना किसी बड़े प्रतिरोध के डर के।
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इज़राइली सेना ने सोमवार को गाजा, सीरिया और लेबनान में हवाई हमले फिर से शुरू कर दिए, जिससे हालात और गंभीर हो गए हैं। गाजा में इन हमलों के चलते अब तक करीब 100 नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों घायल हुए हैं। सीरिया के दारा शहर के एक रिहायशी इलाके में हुए हमलों में तीन लोगों की जान गई और 19 अन्य घायल हो गए।
इज़राइल ने यह भी दावा किया कि उसने दक्षिणी लेबनान के योहमोर शहर में हिज़बुल्लाह संगठन के दो सदस्यों को मार गिराया है।
दूसरी ओर, अमेरिका ने सोमवार तड़के एक बार फिर यमन में हवाई हमले किए। इसके जवाब में हूती प्रवक्ता याह्या सारी और हूती नेता अब्दुल मलिक अल-हूती ने चेतावनी दी है कि वे किसी भी हमले का कड़ा जवाब देंगे।