पाकिस्तान रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (फोटो- सोशल मीडिया)
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजनीति में सेना के दखल की बात कोई नई नहीं है, लेकिन अब यह सच देश के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुद स्वीकार कर लिया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में ‘हाइब्रिड शासन प्रणाली’ चल रही है, जिसमें सेना की अहम भूमिका है। आसिफ ने यह भी स्वीकारा कि शहबाज शरीफ की सरकार को सेना का खुला समर्थन प्राप्त है। उनके बयान से साफ है कि पाकिस्तान में असली सत्ता का केंद्र अब भी सैन्य प्रतिष्ठान ही है।
अरब न्यूज को दिए इंटरव्यू में ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान में कोई आदर्श लोकतंत्र नहीं है। यहां जो मॉडल अपनाया गया है, वह एक “हाइब्रिड सिस्टम” है, जिसमें सेना और सरकार दोनों मिलकर देश चलाते हैं। उन्होंने इस व्यवस्था को ‘चमत्कारिक’ करार दिया और दावा किया कि यह तब तक जरूरी है जब तक पाकिस्तान आर्थिक और प्रशासनिक संकटों से बाहर नहीं निकलता।
सेना के समर्थन से चल रही शरीफ सरकार
रक्षा मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि शहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन को सेना का समर्थन प्राप्त है और यही उनके राजनीतिक अस्तित्व का आधार भी है। उन्होंने कहा कि यदि यही मॉडल 1990 के दशक में लागू हो गया होता, जब नवाज शरीफ प्रधानमंत्री थे, तो पाकिस्तान को आज के कई संकटों से बचाया जा सकता था। ख्वाजा आसिफ का यह बयान विपक्षी दलों को भी आक्रामक बना सकता है, जो लंबे समय से लोकतंत्र के नाम पर सेना की भूमिका पर सवाल उठाते आए हैं।
लोकतंत्र की जगह ‘सैनिक-राजनीतिक गठबंधन’
आसिफ के इस बयान के बाद आलोचकों ने तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान का असली चेहरा अब पूरी दुनिया के सामने आ गया है। यह भी कहा गया कि शरीफ परिवार अब खुलकर सेना की छत्रछाया में राजनीति करेगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान में आगामी चुनावों की चर्चाएं हो रही हैं और देश आर्थिक संकट से भी जूझ रहा है।
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की यह स्वीकार्यता साफ संकेत करती है कि देश की राजनीति अब भी सैन्य ताकत के अधीन है। लोकतंत्र के नाम पर चल रहे हाइब्रिड मॉडल की असलियत अब सार्वजनिक हो चुकी है, जो आने वाले समय में पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि और लोकतांत्रिक साख दोनों पर सवाल खड़े करेगी।