पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी (फोटो- सोशल मीडिया)
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा सोमवार को तब राजनीतिक अखाड़ा बन गई, जब भाजपा विधायकों और सत्ताधारी टीएमसी के बीच तीखा टकराव हुआ। अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष समेत चार विधायकों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया। इन पर अध्यक्ष के आदेश की अवहेलना, माइक तोड़ने और कागज फाड़ने जैसे आरोप लगे हैं। वहीं, भाजपा ने सुरक्षा कर्मियों पर विधायकों से मारपीट का आरोप लगाया है।
विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब भाजपा ने मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के भाषण में बार-बार हस्तक्षेप किया। भाजपा विधायक अशोक लाहिरी की टिप्पणियां कार्यवाही से हटाए जाने से नाराज भाजपा सदस्य पहले से ही आक्रोश में थे। जैसे ही अध्यक्ष ने उन्हें बैठने का निर्देश दिया, वे और उग्र हो गए। इस पर अध्यक्ष ने चार विधायकों शंकर घोष, अग्निमित्रा पॉल, दीपक बर्मन और मनोज उरांव को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
नोकझोंक और वॉकआउट से गरमाया माहौल
सदन से बाहर जाते समय अग्निमित्रा पॉल और टीएमसी विधायक असीमा पात्रा के बीच तीखी बहस भी हुई। टकराव को बढ़ने से पहले सुरक्षा कर्मियों ने बीच-बचाव किया। इसके बाद सभी भाजपा विधायकों ने 20 मिनट तक विरोध जताया और फिर सदन से वॉकआउट कर गए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों के साथ धक्का-मुक्की हुई और शंकर घोष का चश्मा टूट गया।
विपक्षी नेता का हमला, अध्यक्ष का जवाब
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हमारे विधायकों से धक्का-मुक्की और मारपीट हुई है। विधानसभा को TMC का अड्डा बना दिया गया है।” उन्होंने घोषणा की कि आगामी शीतकालीन सत्र में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा।
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उधर, विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने जवाब में कहा कि हंगामे के दौरान 14 सुरक्षा कर्मी घायल हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि नुकसान की भरपाई संबंधित विधायकों की सैलरी से की जाएगी। अध्यक्ष ने घटना को लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बताया और जांच के आदेश दिए हैं। बता दें इस घटना से पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। जहां एक ओर अध्यक्ष ने भाजपा विधायकों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया है, वहीं भाजपा इसे लोकतंत्र की आवाज को दबाने की साजिश बता रही है। दोनों पक्षों के बीच तनातनी ने राज्य की राजनीति को एक बार फिर नए मोड़ पर ला खड़ा किया है।