सांकेतिक तस्वीर
Internet Shutdown in Balochistan: पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान में एक महीने के भीतर तीसरी बार इंटरनेट ब्लैकआउट जारी किया है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की आलोचना का केंद्र बन गया है, जो इसे बुनियादी मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं। यहीं पाकिस्तानी सेना पर बेगुनाह लोगों पर अत्याचार करने के कई आरोप है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इंटरनेट बंद करने के फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि इससे सूचना का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आवाजाही, और शांतिपूर्ण सभाओं के अधिकार पर सीधा असर पड़ता है। संगठन का कहना है कि इस तरह के व्यापक प्रतिबंध मौलिक स्वतंत्रताओं को कुचलने के समान हैं।
बलूचिस्तान के एक स्थानीय कार्यकर्ता ने भी इंटरनेट को “बुनियादी मानवाधिकार” बताते हुए कहा कि अधिकारियों का असली मकसद सूचनाओं को देश और दुनिया से छिपाना है। द बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी अधिकारियों ने 5 सितंबर शाम 5 बजे से 6 सितंबर रात 9 बजे तक थ्रीजी और फोरजी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं। इसके पीछे कानून-व्यवस्था की स्थिति और धार्मिक जुलूसों के कारण खतरे का हवाला दिया गया।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान की सरकार ने सुरक्षा कारणों का बहाना बनाकर इंटरनेट सेवा को बंद किया हो। पिछले महीने के ज्यादातर समय में बलूचिस्तान के लोग इसी तरह की बंदी का सामना करते रहे हैं।
बलूचिस्तान में बहुत से लोगों के लिए मोबाइल इंटरनेट ही सूचना तक पहुंच का एकमात्र जरिया है। इसलिए इस तरह के ब्लैकआउट न सिर्फ लोगों की निजी जिंदगी, बल्कि उनकी शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक जुड़ाव को भी गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
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बलूचिस्तान की एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता युसरा ने बताया कि ये शटडाउन इतने आम हो चुके हैं कि अब लोग इन्हें “नियमित” मानने लगे हैं। उन्होंने कहा, “जब भी हम किसी आयोजन के लिए किसी कस्बे या शहर में जाते हैं, हमारे पहुंचते ही इंटरनेट बंद कर दिया जाता है। वो बताते हैं कि यह सुरक्षा के लिए है पर किसकी सुरक्षा? हम अपने परिवारों से बात भी नहीं कर सकते, न ही सही जानकारी हासिल कर सकते हैं।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)