नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Nepal News Hindi: नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने नई प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर शुक्रवार देर रात प्रतिनिधि सभा (संसद) को भंग कर दिया। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी सूचना में कहा गया कि सदन 12 सितंबर 2025 की रात 11 बजे से भंग माना जाएगा। साथ ही राष्ट्रपति ने घोषणा की कि अगले संसदीय चुनाव 21 मार्च 2026 को कराए जाएंगे। इसी बीच, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार रात नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और अब वह अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी।
नेपाल में कई दिनों से जारी राजनीतिक अस्थिरता आखिरकार खत्म हो गई। कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंधों के खिलाफ भड़के युवाओं के हिंसक प्रदर्शनों के दबाव में मंगलवार को केपी शर्मा ओली को अचानक प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा।
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 73 वर्षीय सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति ने घोषणा की कि अंतरिम सरकार को अगले छह महीनों के भीतर नए संसदीय चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई है। शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल के प्रधान न्यायाधीश, शीर्ष सरकारी अधिकारी, सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख और कूटनीतिक समुदाय के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
Nepal President Ram Chandra Poudel, as per the recommendation of Prime Minister Sushila Karki, has dissolved the current House of Representatives with effect from 11:00 PM on Friday, Bhadra 27, 2082 BS.
The date for the election of the new House of Representatives has been… pic.twitter.com/QTPrDlypxC
— ANI (@ANI) September 12, 2025
पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ही शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद एकमात्र पूर्व प्रधानमंत्री रहे। जैसे ही कार्की की नियुक्ति की खबर फैली, जेन-ज़ी के युवा काठमांडू के महाराजगंज स्थित शीतलनिवास (राष्ट्रपति भवन) के बाहर जश्न मनाने पहुंच गए। आमतौर पर 1997 से 2012 के बीच जन्मे युवाओं को जेन-ज़ी पीढ़ी कहा जाता है।
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जेन-जेड युवाओं द्वारा शुरू किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दबाव में आखिरकार प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा। कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने से पहले राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से अलग-अलग राय ली।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें भ्रष्टाचार पर रोक लगाना, पक्षपात खत्म करना और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाए गए प्रतिबंध हटाना थीं। इन प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में एक भारतीय नागरिक समेत कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई।