मुस्लिम देशों ने थामा भारत का हाथ. फोटो ( सो. सोशल मीडिया)
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: मंगलवार 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान चली गई। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे खतरनाक हमला माना जा रहा है। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान आधारित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। इस बर्बर हमले की अमेरिका, रूस और चीन सहित कई देशों ने कड़ी निंदा की है। अरब देशों ने भी इस हमले की आलोचना करते हुए भारत के साथ एकजुटता जाहिर की है।
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि वह किसी भी प्रकार की हिंसा, चरमपंथ और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाए जाने जैसी कायरतापूर्ण घटनाओं की निंदा करता है और इन मामलों में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। सऊदी अरब ने हमले में मारे गए लोगों के परिवारों और भारत सरकार के प्रति गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट की है।
बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद को किसी भी परिस्थिति में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक बयान में हमले की कड़ी निंदा की। मंत्रालय ने कहा कि यूएई ऐसे आपराधिक कृत्यों की कड़े शब्दों में निंदा करता है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी प्रकार की हिंसा और आतंकवाद को पूरी तरह खारिज करता है। इसके साथ ही यूएई ने भारत सरकार, भारतीय जनता और इस भयावह हमले में जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना और सहानुभूति जताई तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
बता दें कि पाकिस्तान इस मुद्दे पर अपना एक अलग ही रुख अपनाए हुए है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के करीबी और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस हमले से पाकिस्तान के किसी भी प्रकार के संबंध को सिरे से नकार दिया है। उन्होंने कहा, “यह सारा मामला भारत के भीतर ही उपजा है। भारत के कई राज्यों में केंद्र सरकार के खिलाफ विद्रोह जैसी स्थिति है। यह सिर्फ एक या दो जगह नहीं, बल्कि नगालैंड, कश्मीर, छत्तीसगढ़ और मणिपुर जैसे कई इलाकों में देखा जा रहा है। वहां सरकार के खिलाफ आंदोलन हो रहा है।”
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गौरतलब है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने हाल ही में कश्मीर को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की “गले की नस” करार दिया। उन्होंने यह टिप्पणी 15 अप्रैल को इस्लामाबाद में आयोजित पहले प्रवासी पाकिस्तानी सम्मेलन के दौरान की। जनरल मुनीर ने कहा, “हमारा दृष्टिकोण बिल्कुल स्पष्ट है कश्मीर हमारे लिए पहले भी गले की नस था, आगे भी रहेगा, और हम इसे कभी नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके साहसिक संघर्ष में कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे।”