
चीन की दहलीज पर जापान ने तैनात की घातक मिसाइलें, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
China Yonaguni Island Missile: पूर्वी एशिया में सुरक्षा माहौल लगातार तनावपूर्ण होता जा रहा है। ताइवान के बेहद पास स्थित जापान के दक्षिणी द्वीप योनागुनी (Yonaguni) पर मिसाइल तैनाती की योजना तेज होने से क्षेत्रीय शक्तियों के बीच खींचतान और बढ़ गई है। जापान के रक्षा मंत्री शिंजिरो कोइजूमी ने हाल ही में इस मिलिट्री बेस का दौरा किया और बताया कि मिसाइल तैनाती किसी हमले की आशंका बढ़ाने के बजाय उसे रोकने में मदद करेगी।
योनागुनी ताइवान से सिर्फ 110 किलोमीटर दूर है, और जापान इसे अपनी दक्षिणी सुरक्षा रणनीति का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है। जापान इससे पहले ही आसपास के दो अन्य द्वीपों इशिगाकी पर एंटी-शिप मिसाइलें और मियाको पर एयर सर्विलांस सिस्टम तैनात कर चुका है। कोइजूमी ने कहा कि जापान और अमेरिका को साथ मिलकर डिटरेंस यानी प्रतिरोध क्षमता बढ़ानी होगी क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह सबसे गंभीर सुरक्षा माहौल है।
चीन की नाराज़गी हाल के दिनों में और बढ़ी है। कुछ दिन पहले जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने कहा था कि अगर ताइवान पर हमला होता है तो जापान अन्य देशों के साथ मिलिट्री ऑपरेशन में शामिल हो सकता है। चीन ने इस बयान को उकसाने वाला बताया और जापान पर आर्थिक दबाव भी बढ़ाना शुरू कर दिया। हालांकि ताकाइची बाद में अपने बयान को नरम कर चुकी हैं, लेकिन चीन लगातार यह संदेश दे रहा है कि ताइवान पर किसी भी तरह का दबाव उसके लिए अस्वीकार्य है।
उधर, ताइवान पर अमेरिका की ओर से आर्थिक और सामरिक दबाव भी बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि ताइवान अपनी उन्नत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का 50% हिस्सा अमेरिका में शिफ्ट करे। ताइवान ने इसे अव्यावहारिक बताया है, क्योंकि दुनिया की सबसे उन्नत चिप इंडस्ट्री फिलहाल ताइवान में ही है और इसे शिफ्ट करने में एक दशक से ज्यादा लग सकता है।
इसके अलावा अमेरिका ने ताइवान पर 20% टैरिफ भी लगा दिया है जो जापान, दक्षिण कोरिया जैसे सहयोगी देशों से कहीं अधिक है। ताइवान के उद्योग जगत को डर है कि इसका सीधा असर टेक्सटाइल, मशीन टूल्स और साइकिल उद्योग पर पड़ेगा।
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ट्रंप ने ताइवान पर दबाव बढ़ाते हुए यह भी कहा है कि वह अपना सैन्य बजट GDP के 10% तक बढ़ाए, जबकि ताइवान अगले साल इसे सिर्फ 3% करने की तैयारी में है। इन कदमों से स्पष्ट है कि अमेरिका ताइवान पर नए तरह का दबाव बना रहा है, जो दोस्ताना व्यवहार से बिलकुल अलग दिखता है।






