
डोनाल्ड ट्रंप के गाजा प्रस्ताव पर बोला इजरायल, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Israel Hamas War: गाजा पट्टी में जारी तनाव और युद्धविराम के बीच एक बड़ा अपडेट सामने आया है। इजरायली सेना ने सोमवार देर रात बताया कि हमास ने एक और इजरायली बंधक के अवशेष अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति को सौंप दिए हैं। इससे पहले 10 अक्टूबर को लागू युद्धविराम के बाद से हमास कुल 15 बंधकों के अवशेष लौटा चुका है। इजरायल का कहना है कि अभी गाजा में 12 और शव बरामद किए जाने बाकी हैं।
इस बीच, इजरायल और तुर्की के बीच कूटनीतिक तनाव और गहराता दिख रहा है। इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार ने हंगरी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि इजरायल तुर्की सैनिकों को उस बहुराष्ट्रीय बल का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देगा, जिसका प्रस्ताव अमेरिका ने गाजा में युद्धविराम समझौते की निगरानी के लिए रखा है।
दरअसल, इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तैयार किए गए 20-सूत्रीय शांति समझौते में गाजा में स्थिरता और युद्धविराम की निगरानी के लिए एक ‘बहुराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल’ (Multinational Stabilisation Force) की आवश्यकता बताई गई थी। हालांकि, इस प्रस्ताव में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि किन देशों के सैनिक इस बल का हिस्सा होंगे।
तुर्की ने हाल ही में इस बल में अपने सैनिक भेजने की इच्छा जताई थी, लेकिन इजरायल ने सख्त आपत्ति जताते हुए कहा कि यह “अस्वीकार्य” है। इजरायल का तर्क है कि राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन हमास के करीबी माने जाते हैं, और ऐसे में उनके सैनिकों की उपस्थिति युद्धविराम क्षेत्र में निष्पक्षता पर सवाल खड़े करेगी। वहीं, तुर्की राष्ट्रपति एर्दोआन ने पलटवार करते हुए कहा कि अमेरिका को इजरायल पर दबाव डालना चाहिए ताकि वह ट्रंप शांति योजना के तहत किए गए अपने वादों को पूरा करे।
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बहुराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल का उद्देश्य हमास को निष्क्रिय कर गाजा में एक फिलिस्तीनी प्रशासन स्थापित करना है, और इस पूरे प्रयास की निगरानी अमेरिकी नेतृत्व वाले सिविल-मिलिट्री कोऑर्डिनेशन सेंटर (CMCC) करेगा। यह केंद्र दक्षिण इजरायल के किर्यात गट में स्थित है और इसमें ब्रिटेन, फ्रांस, जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के सैन्य सलाहकार शामिल हैं। हालांकि, क्षेत्र में बंद पड़े सहायता मार्गों और लगातार बढ़ते मानवीय संकट के कारण इस बल के लिए मिशन आसान नहीं होगा। गाजा की स्थिति अभी भी बेहद नाजुक है और युद्धविराम की शर्तों पर अमल कराने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को संतुलित और पारदर्शी दृष्टिकोण अपनाने की चुनौती बनी हुई है।






