ईरान ने भारत से लगाई गुहार, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भारत में ईरान के उप-राजदूत मोहम्मद जवाद हुसैनी ने इजरायल के प्रति कड़ी आलोचना व्यक्त करते हुए भारत से इजरायल की खुलकर निंदा करने और उस पर दबाव बढ़ाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि भारत जैसा बड़ा और शांतिप्रिय देश, जो वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व करता है, उसे इजरायल की आलोचना करते हुए अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
हुसैनी ने यह भी कहा कि अक्टूबर में हमास के खिलाफ इजरायल की सैन्य कार्रवाई के समय यदि वैश्विक स्तर पर उसकी सख्त निंदा की गई होती, तो इजरायल ईरान जैसे संप्रभु राष्ट्र पर हमला करने का साहस नहीं जुटा पाता।
उप-राजदूत ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया। उन्होंने कहा कि IAEA ने स्वयं पुष्टि की थी कि ईरान की ओर से कोई सैन्य परमाणु गतिविधि नहीं चल रही है, फिर भी एजेंसी ने इजरायल के पक्ष में ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया। इससे IAEA की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ खड़े हुए हैं।
ईरान के प्रतिनिधि हुसैनी ने स्पष्ट रूप से कहा कि ईरान की सुरक्षा रणनीति में परमाणु हथियारों का कोई योगदान नहीं है और देश को अपनी सुरक्षा के लिए इनकी आवश्यकता भी नहीं है। उन्होंने दोहराया कि परमाणु अस्त्र उनकी रक्षा नीति का अंग नहीं हैं और ईरान अपनी सुरक्षा स्वयं सुनिश्चित करने में सक्षम है।
#WATCH | Delhi | Iranian Deputy Chief of Mission in India Mohammad Javad Hosseini says, "… Nuclear weapons don't have any place in our defence strategy. We can defend ourselves. We don't need the nuclear weapons. All of these allegations (that Iran is enriching Uranium for… pic.twitter.com/8X9EBCZfCm
— ANI (@ANI) June 20, 2025
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हुसैनी ने ईरान पर यूरेनियम संवर्धन के माध्यम से परमाणु हथियार विकसित करने के आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया। उन्होंने कहा कि ये आरोप वास्तव में किसी अन्य छिपे हुए एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब तो विरोधी खुले तौर पर ईरान में शासन परिवर्तन की बात कर रहे हैं, जो संभवतः उनका वास्तविक उद्देश्य है।
एक पत्रकार के पूछे गए सवाल के जवाब में कि क्या अमेरिका, पाकिस्तानी सेना प्रमुख की अमेरिका यात्रा के बाद पाकिस्तान की भूमि का उपयोग करेगा, हुसैनी ने आशा व्यक्त की कि पाकिस्तान ऐसी किसी भी कार्रवाई में शामिल नहीं होगा और वह इज़रायली हमलों के विरोध में ईरान का समर्थन करेगा। हुसैनी ने आगे यह भी कहा कि ईरान के पास कुछ ऐसी क्षमताएं हैं जो अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा, “हमने इन्हें भविष्य के लिए सुरक्षित रखा है। इसलिए बेहतर होगा कि कोई भी इस क्षेत्र को जोखिम में डालने की कोशिश न करे।”