
भारत-बांग्लादेश तनाव पर रूस की एंट्री, डिजाइन फोटो
Bangladesh News In Hindi: बांग्लादेश में मौजूदा हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं और इसका सीधा असर भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ता दिख रहा है। बीते कुछ समय में बांग्लादेश में भारत विरोधी नारों, प्रदर्शनों और भारत के दूतावास को निशाना बनाने जैसी घटनाएं सामने आई हैं। इसके साथ ही वहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर भारत में भी गहरी नाराजगी देखी जा रही है।
इसी को लेकर बांग्लादेश में रूस के राजदूत अलेक्जेंडर ग्रिगोरीविच खोजिन ने दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को खत्म करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में 12 फरवरी 2026 को होने वाले राष्ट्रीय चुनाव से पहले शांतिपूर्ण और सकारात्मक माहौल बनाना बेहद जरूरी है। रूसी राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के साथ तनाव कम करना जितना जल्दी हो सके उतना ही बेहतर होगा।
राजदूत खोजिन ने स्पष्ट किया कि वे भारत और बांग्लादेश के आपसी संबंधों में दखल नहीं देना चाहते, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा कोई रास्ता निकालना समझदारी होगी जिससे तनाव मौजूदा स्तर से आगे न बढ़े। उन्होंने कहा कि किसी भी पड़ोसी देश के रिश्ते आपसी भरोसे और विश्वास पर टिके होने चाहिए।
चुनावों को लेकर उन्होंने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में मतदान तय समय पर होगा। चुनाव पर्यवेक्षकों को भेजने के सवाल पर उन्होंने बताया कि रूस बांग्लादेश के चुनाव आयोग के संपर्क में है और आधिकारिक निमंत्रण मिलने का इंतजार कर रहा है।
वहीं, बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने देश के हालातों पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि राजधानी ढाका और प्रमुख शहर चटगांव में हालात सबसे ज्यादा तनावपूर्ण हैं और इसके पीछे सत्ताधारी सरकार का संरक्षण जिम्मेदार है। उनके अनुसार, कुछ चरमपंथी पार्टियों और संगठनों को अराजकता फैलाने के लिए उकसाया जा रहा है, जिससे चुनाव नजदीक आने के साथ अस्थिरता और बढ़ रही है।
मोहिबुल हसन चौधरी ने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें चुनाव कार्यक्रम को टालना चाहती हैं ताकि सत्ता बनाए रखी जा सके। इसके लिए सोशल मीडिया पर यूट्यूबर और ऑनलाइन मंचों के जरिए लोगों को भड़काया जा रहा है। उन्होंने हिज्ब उत-तहरीर और जमात-ए-इस्लामी से जुड़े छात्र संगठन शिबिर जैसी कट्टरपंथी ताकतों का भी जिक्र किया।
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भारत विरोधी गतिविधियों पर उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन पूरे देश तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ढाका और चटगांव के कुछ इलाकों तक ही सिमटे हुए हैं। कुछ उग्र और कट्टरपंथी छात्र समूहों द्वारा मदरसा छात्रों को जबरन प्रदर्शनों में शामिल किया जा रहा है। इन छात्रों के सामने भोजन और रहने की जगह खोने का डर होता है, जिससे वे मजबूरी में इन जुलूसों का हिस्सा बनते हैं। कुल मिलाकर, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता, कट्टरपंथ और भारत विरोधी गतिविधियों ने क्षेत्रीय शांति और भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।






