इमरान खान ने कर दिया पाक की राजनीति में बड़ा खेला,फोटो ( सो. सोशल मीडिया)
Pakistan Politics: आदियाला जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली और सीनेट की राजनीति में अपनी ताकत दिखा दी है। हाल ही में शहबाज शरीफ की सरकार ने इमरान की तरफ से नियुक्त नेता प्रतिपक्ष को हटा दिया था। इसके बाद अफवाहें थीं कि यह पद अब किसी छोटी पार्टी को दिया जा सकता है, लेकिन जेल से ही इमरान ने चाल चल दी।
इमरान की पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष के लिए जमात-ए-इस्लामी के फजल उर रहमान के साथ गठबंधन किया है। इस कदम से शहबाज और जरदारी की साजिशें शायद सफल नहीं हो पायेंगी।
समा टीवी के अनुसार, फजल उर रहमान का कहना है कि इस पद का हक पीटीआई को ही है और इसे किसी और को नहीं दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार विपक्ष के साथ बातचीत करने को सही नहीं मानती और आने वाले समय में इसका जवाब कड़ा दिया जाएगा।
पाकिस्तान में भले ही सेना का नियंत्रण सत्ता पर सबसे ज्यादा हो, लेकिन बड़े राजनीतिक फैसलों में प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष की राय को भी महत्व दिया जाता है। खास बात यह है कि नेता प्रतिपक्ष खुलकर अपनी आवाज उठा सकते हैं और उनके बयान मीडिया में भी प्रमुखता से दिखाई जाते हैं। यह जेल में बंद इमरान खान के लिए विशेष रूप से अहम है।
इतिहास में पाकिस्तान में नेता प्रतिपक्ष के पद पर कई बड़े नाम रहे हैं, जैसे नवाज शरीफ, बेनजीर भुट्टो, परवेज इलाही, खुर्शीद शाह और चौधरी निसार अली खान। इनमें से बेनजीर, नवाज और शहबाज शरीफ बाद में प्रधानमंत्री भी बने।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 337 सीटें हैं, जिनमें से इमरान खान की पार्टी पीटीआई के पास 90 सीटें हैं। हालांकि, उनके कई सदस्य निर्दलीय या छोटी पार्टियों के सिंबल से जीतकर आए हैं। वहीं, फजल उर रहमान के पास 10 सीटें हैं। सीनेट में कुल 96 सीटें हैं, जिसमें पीटीआई के पास 14 और जमात के पास 7 सीटें हैं। यानी मिलाकर 21 सीटें बनती हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए केवल 10 सीटों की जरूरत है।
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इमरान खान फजल उर रहमान के साथ गठजोड़ करने की योजना बना रहे हैं। फजल उर के पास बलूचिस्तान, पंजाब और खैबर में मजबूत जनाधार है। पहले सरकार किसी की भी हो, फजल उर बड़े पदों पर हमेशा रहे हैं। हालांकि, इमरान की तरह फजल उर की भी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ टकराव हुआ था, जिसके चलते वे राजनीतिक रूप से कमजोर पड़ गए। अगर इमरान और फज़ल openly साथ खड़े होते हैं, तो पाकिस्तान की राजनीति का नक्शा पूरी तरह बदल सकता है।