सऊदी अरब से डील के बाद उछलने लगा PAK, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Pakistan Saudi Pact: पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इशाक डार ने एक अहम और साहसिक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर और अधिक इस्लामी देश पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते में शामिल होते हैं, तो यह गठबंधन भविष्य में एक तरह का “इस्लामी नाटो” बन सकता है। संसद को संबोधित करते हुए डार ने यह भी बताया कि अब पाकिस्तान को सिर्फ एक सैन्य शक्ति ही नहीं, बल्कि आर्थिक शक्ति के रूप में भी खुद को स्थापित करने के लिए कदम उठाने होंगे।
इशाक डार ने अपने भाषण में आगे पाकिस्तान की वैश्विक भूमिका और महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अब देश को सिर्फ एक परमाणु शक्ति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे आर्थिक क्षेत्र में भी एक मजबूत ताकत बनने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ईश्वर की कृपा से, पाकिस्तान भविष्य में 57 इस्लामी देशों का नेतृत्व कर सकता है। यह तभी संभव है जब हम सभी मिलकर अपने सामूहिक प्रयास और इच्छाशक्ति को आगे बढ़ाएं।’
सऊदी अरब और पाकिस्तान ने एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस डील के तहत, यदि किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। यह समझौता नाटो के आर्टिकल 5 जैसी अवधारणा से मिलता-जुलता है, जिसमें किसी सदस्य देश पर हमला पूरे गठबंधन पर हमला माना जाता है। उन्होंने आगे कहा कि कई देशों ने इस्लामाबाद के साथ रक्षा समझौता करने में रुचि दिखाई है। यदि और देश इस सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौते में शामिल होते हैं, तो यह एक तरह का नाटो जैसा गठबंधन बन सकता है।
डार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया गाजा शांति योजना के संदर्भ में संसद को संबोधित करते हुए बताया कि 18 सितंबर को सऊदी अरब के साथ ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते’ पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने कहा कि कई अरब और गैर-अरब इस्लामी देशों ने इस समझौते में शामिल होने की इच्छा जताई है और संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान भी पाकिस्तान से इस संबंध में संपर्क किया गया है।
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डार ने अपने भाषण में मई 2025 में भारत के साथ हुए चार दिन लंबे सैन्य संघर्ष का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर उस समय सऊदी-पाक समझौता पहले से लागू होता, तो भारत का यह हमला केवल पाकिस्तान पर नहीं बल्कि सऊदी अरब पर भी हमला माना जाता। इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि यह समझौता पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा, जिससे भविष्य में किसी भी संभावित खतरे या आक्रमण की स्थिति में पाकिस्तान अकेला नहीं रहेगा।