
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pak-Afghan Peace Talks: तुर्की के राष्ट्रपति, रेसेप तैयप एर्दोगन ने घोषणा की कि तुर्की के विदेश और रक्षा मंत्री, साथ ही खुफिया प्रमुख इस सप्ताह पाकिस्तान का दौरा करेंगे। उनका उद्देश्य दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के साथ हो रही संघर्षविराम वार्ता पर चर्चा करना है।
रविवार को बाकू से लौटते हुए, जहां उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की, एर्दोआन ने बताया कि इस त्रिपक्षीय यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच स्थायी युद्धविराम स्थापित करना और शांति प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना है।
इस बीच ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने काबुल और इस्लामाबाद के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने में मदद की पेशकश की है। अरागची ने यह प्रस्ताव शनिवार रात पाकिस्तानी विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार से बातचीत के दौरान रखा। उन्होंने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और गहरे दोस्ताना संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों मित्र मुस्लिम राष्ट्र हैं और साझा हितों से जुड़े हुए हैं।
अरागची ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताते हुए कहा कि मतभेदों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि दोनों देशों के बीच शांति न केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है।
बातचीत के दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने ईरानी समकक्ष को हाल की घटनाओं की जानकारी दी। इसमें इस्तांबुल में संपन्न शांति वार्ता और अन्य कूटनीतिक प्रयासों का भी जिक्र था, जिन पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई। हालांकि, डार ने यह स्पष्ट किया कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के साथ बातचीत जारी रखे हुए है।
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव लगातार बढ़ रहा है। पिछले महीने पाकिस्तान ने काबुल पर हवाई हमले किए, जिससे सीमा पर तनाव और बढ़ गया। अफगानिस्तान के हमलों में पाकिस्तान के कई जवान मारे गए, वहीं आम नागरिकों की भी जान गई। तुर्की की मध्यस्थता में संघर्षविराम हुआ था, लेकिन यह स्थायी नहीं रहा। इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता भी असफल रही और दोनों देशों ने एक-दूसरे को धमकी दी। पाकिस्तान लगातार आरोप लगाता है कि अफगानिस्तान अपने देश में पाकिस्तान के दुश्मनों को आश्रय दे रहा है, जबकि अफगानिस्तान इसे नकारता रहा है।






