
चीन में 76 वैज्ञानिकों की मौत से मचा हड़कंप, सांकेतिक एआई तस्वीर
Chinese Education System Crisis: चीन में ऑनलाइन डेटाबेस में दर्ज 76 युवा वैज्ञानिकों की मौतों ने हलचल मचा दी है। रिपोर्ट्स के बाद शिक्षा और शोध क्षेत्र में इसको लेकर बड़ी स्तर पर बहस छिड़ गई है।
चीन के वैज्ञानिक समुदाय में हाल ही में मचा हड़कंप एक ऑनलाइन डेटाबेस से जुड़ा है, जिसमें देशभर के युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की मौतों की जानकारी दर्ज की गई है। यह सूची CSND नामक प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित हुई थी जो आमतौर पर कंप्यूटर प्रोग्रामर्स और टेक प्रोफेशनल्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अब तक 60 वर्ष से कम उम्र के 76 वैज्ञानिकों की मौत हो चुकी है, जबकि पिछले साल यह संख्या 44 थी। इस चौंकाने वाले डेटा के सामने आने के बाद चीन के सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है कि आखिर शिक्षा और शोध के क्षेत्र में ऐसा क्या हो रहा है जो इतने युवा शोधकर्ता अपनी जान गंवा रहे हैं। सबसे कम उम्र की मौत का मामला नानजिंग यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर डोंग सिजिया का बताया गया है, जो समुद्र विज्ञान विभाग में कार्यरत थीं। उनकी उम्र मात्र 33 वर्ष थी।
यह डेटा ग्वांगडोंग प्रांत के एक गुमनाम व्यक्ति ने तैयार किया है जिसने दावा किया कि सारी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से ली गई है। उसका उद्देश्य था लोगों को जागरूक करना, क्षेत्रीय असमानता दिखाना और सरकार को बेहतर नीतियां बनाने के लिए प्रेरित करना। लेकिन यह डेटा सामने आते ही नैतिकता और गोपनीयता पर विवाद शुरू हो गया।
कई लोगों ने सवाल उठाया कि क्या इन मौतों की जानकारी साझा करने से पहले मृत वैज्ञानिकों के परिवारों से अनुमति ली गई थी? कुछ ने यह भी कहा कि डेटा अधूरा है, क्योंकि कई पुराने मामलों की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध ही नहीं है। वहीं कुछ लोगों ने पूछा कि सिर्फ वैज्ञानिकों को ही क्यों गिना जा रहा है क्या यह संख्या अन्य पेशों की तुलना में अधिक है?
मई 2024 में Preventive Medicine Reports जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस चिंता को और गहरा कर दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, चीन के अकादमिक क्षेत्र में आत्महत्याओं की दर तेजी से बढ़ी है, जबकि देश के बाकी हिस्सों में यह घट रही है। अध्ययन में पाया गया कि 65% मामलों में कारण ‘काम का अत्यधिक दबाव’ बताया गया।
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चीन की शिक्षा व्यवस्था में लागू अप या आउट सिस्टम को भी इस संकट का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। इस प्रणाली में शोधकर्ताओं को छह साल में अपने शोध लक्ष्य पूरे करने होते हैं अन्यथा उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। इसके साथ ही फंड की कमी लंबा कार्य समय और मानसिक तनाव ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
शंघाई की टोंगजी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर फैन शिउदी का कहना है कि इन मौतों के पीछे केवल काम का दबाव ही नहीं, बल्कि बीमारियां, दुर्घटनाएं और पारिवारिक समस्याएं भी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगर असली कारणों की गहराई से जांच नहीं की गई, तो यह समस्या आगे और भयावह रूप ले सकती है। चीन में अब यह मुद्दा सिर्फ एक ऑनलाइन लिस्ट का नहीं रह गया है बल्कि यह सवाल बन गया है कि क्या वैज्ञानिकों का भविष्य, सफलता की कीमत पर कुर्बान किया जा रहा है?






