
प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
Japanese Vaccine for Stress: जापानी वैज्ञानिकों ने तनाव और अवसाद के लिए एक ऐसी नई वैक्सीन विकसित की है जिसको लेकर वैज्ञानिकों का दावा है कि यह वैक्सीन मात्र दो महीने के भीतर ही लोगों में तनाव और अवसाद के लक्षणों को प्रभावी ढंग से कम कर सकती है।
यह खोज ऐसे समय में हुई है जब पूरी दुनिया में करोड़ों लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में 28 करोड़ से अधिक लोग तनाव या अवसाद से पीड़ित हैं। वहीं, भारत में भी लगभग 40 लाख लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। तनाव में व्यक्ति हमेशा उदास, थका हुआ और रुकावटें महसूस करता है, जबकि अवसाद अक्सर डर या घबराहट के रूप में प्रकट होता है, जिसका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता।
वर्तमान में उपलब्ध दवाइयां सभी मरीजों पर समान रूप से असरदार नहीं होती हैं, और उनमें से कई में लत लगने या गंभीर दुष्प्रभाव होने का खतरा होता है। यही कारण है कि डब्ल्यूएचओ ने भी लोगों को इन स्थितियों से बचाने के लिए नए और बेहतर समाधान खोजने का सुझाव दिया था। पीए-915 वैक्सीन इन कमियों को दूर करने की क्षमता रखती है और उन मरीजों के लिए एक नई उम्मीद है जिन्हें मौजूदा उपचारों से राहत नहीं मिलती।
इस महत्वपूर्ण वैक्सीन को जापान के प्रमुख संस्थानों में शामिल ओसाका विश्वविद्यालय, कोबे विश्वविद्यालय और अन्य अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के एक समूह ने मिलकर बनाया है। वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि यह नई वैक्सीन एक विशिष्ट जैविक तंत्र पर काम करती है। यह वैक्सीन पीएसीआईआईआई (PACIII) नामक रिसेप्टर को शरीर में सफलतापूर्वक ब्लॉक कर देती है। यह रिसेप्टर सीधे तनाव और चिंता की शारीरिक प्रतिक्रिया से जुड़ा होता है। इस रिसेप्टर को निष्क्रिय करके, वैक्सीन शरीर की तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करती है, जिससे तनाव और अवसाद के स्तर में कमी आती है।
वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन की प्रभावशीलता का परीक्षण चूहों पर किया। प्रशिक्षण के दौरान चूहों को विभिन्न तरीकों से तनाव में रखा गया। उन्हें आक्रामक चूहों के संपर्क में लाया गया, तनाव हार्मोन दिए गए और लंबे समय तक अलग-अलग रखा गया। जब इन तनावग्रस्त चूहों को पीए-915 की एक खुराक दी गई, तो वैज्ञानिकों ने सकारात्मक और उत्साहजनक परिणाम देखे गए…
1- चूहों में तनाव और अवसाद का स्तर उल्लेखनीय रूप से कम हो गया।
2- प्रशिक्षित चूहे सामान्य से ज़्यादा सक्रिय हो गए। वे भूलभुलैया में रास्ता बेहतर ढंग से ढूंढ पाए और अपने व्यवहार में सुधार दिखाया।
3- वैक्सीन की सिर्फ एक खुराक का असर आठ हफ्ते (दो महीने) तक बना रहा।
पीए-915 वैक्सीन की सबसे बड़ी खासियत इसके सुरक्षा प्रोफाइल में है। वैज्ञानिकों ने पाया कि वैक्सीन लेने वाले चूहों में किसी भी तरह की लत, नशा या दिमागी नुकसान के लक्षण नहीं मिले। इसके असर की तुलना अक्सर इस्तेमाल होने वाली दवा केटामाइन से की गई, लेकिन पीए-915 सुरक्षित और लंबे समय तक चलने वाला साबित हुआ। वैज्ञानिकों ने यह भी पुष्टि की कि यह वैक्सीन सामान्य (तनाव-मुक्त) चूहों में कोई बुरा या नकारात्मक असर नहीं डालती है। यह विशेषता इसे पारंपरिक उपचारों की तुलना में एक बेहतर और सुरक्षित विकल्प बनाती है, जहाँ दुष्प्रभाव और लत लगने की समस्या आम है।
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वैज्ञानिकों ने अब उम्मीद जताई है कि अगर इंसानों पर भी ये ही सकारात्मक नतीजे मिलते हैं, तो यह वैक्सीन मानसिक स्वास्थ्य उपचार के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर साबित होगी। वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि जल्द ही इंसानों पर भी इस वैक्सीन का परीक्षण शुरू किया जाएगा। यह खोज भारत समेत दुनियाभर के करोड़ों लोगों के लिए मानसिक स्वास्थ्य की बेहतर और साइड-इफेक्ट-मुक्त उपचार की दिशा में एक बड़ी छलांग है।






