
चीन ने तुरंत अफगान बॉर्डर खाली करने को कहा, (डिजाइन फोटो)
Chinese Workers killed: ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान की 1,350 किमी लंबी सीमा पर तनाव एक बार फिर गंभीर हो गया है। हाल ही में अफगान इलाके से ताजिकिस्तान के दक्षिणी खतलोन प्रांत में ड्रोन हमला हुआ, जिसकी जद में शाहीन एसएम गोल्ड माइन कंपनी का परिसर आया।
इस हमले में तीन चीनी कर्मचारियों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हुए। यह कंपनी ताजिकिस्तान के खनन प्रोजेक्ट्स में सक्रिय कंपनियों में से एक है और क्षेत्र में कई चीनी तकनीशियन और मजदूर काम करते हैं।
ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि हमला अफगानिस्तान की ओर से किया गया और इस तरह की गतिविधियों में सीमा पार सक्रिय आपराधिक समूह शामिल हो सकते हैं। मंत्रालय ने आरोप लगाया कि ये समूह क्षेत्र को अस्थिर करने और देशों के बीच तनाव बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
ड्रोन हमले की पुष्टि दुशांबे स्थित चीनी दूतावास ने भी की। दूतावास ने चीनी नागरिकों को तत्काल सीमा क्षेत्र खाली करने की चेतावनी जारी की, क्योंकि मौजूदा हालात को “अत्यंत असुरक्षित” बताया गया है। हालांकि दूतावास ने यह स्पष्ट नहीं किया कि हमले के पीछे किस समूह का हाथ है, लेकिन चीन ने ताजिकिस्तान सरकार से मामले की पारदर्शी और विस्तृत जांच की मांग की है।
चीन के कर्मचारी ताजिकिस्तान में कई माइनिंग, कंस्ट्रक्शन और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में काम करते हैं, और यह हमला उनके लिए चिंताजनक संकेत माना जा रहा है। ताजिकिस्तान के दूरस्थ बॉर्डर इलाकों में चीनी कंपनियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों की माइनिंग की जाती है, जिससे चीन की बड़ी आर्थिक भागीदारी जुड़ी हुई है।
वहीं दूसरी ओर, अफगान तालिबान के विदेश मंत्रालय ने भी इस हमले की निंदा की है। तालिबान ने कहा कि उनकी प्रारंभिक जांच से ऐसा लगता है कि यह हमला ऐसे तत्वों द्वारा किया गया है, जिनका उद्देश्य क्षेत्र में अराजकता फैलाना, अविश्वास बढ़ाना और दोनों देशों के संबंध बिगाड़ना है। तालिबान प्रशासन ने यह दावा किया कि अफगानिस्तान की जमीन को किसी भी पड़ोसी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा हालांकि ताजिकिस्तान इस पर संदेह व्यक्त करता रहा है।
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इस घटना के तुरंत बाद क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इसी संदर्भ में किर्गिजस्तान की राजधानी बिश्केक में CSTO (Collective Security Treaty Organization) की बैठक आयोजित की गई, जिसमें रूस, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान और ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति शामिल हुए। बैठक में सभी नेताओं ने अफगानिस्तान में स्थिरता, आतंकवाद-मुक्त वातावरण और शांतिपूर्ण शासन की आवश्यकता पर जोर दिया। CSTO देशों ने यह भी कहा कि वे अफगानिस्तान में शांति और विकास के लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में भाग लेने को तैयार हैं।






