डोनाल्ड ट्रंप, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
Trump Tariff: अमेरिका की संघीय अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले को खारिज कर दिया है और स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति के पास ऐसा अधिकार नहीं है। अब ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को इस महत्वपूर्ण मामले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। प्रशासन चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट करे कि क्या राष्ट्रपति को संघीय कानून के तहत व्यापक आयात शुल्क लगाने का अधिकार प्राप्त है या नहीं।
अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट अब यह निर्णय करेगा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए टैरिफ कानूनी हैं या नहीं। इस मामले पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। ट्रंप ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है, जिसमें यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने पहले कहा था कि ट्रंप द्वारा अधिकांश टैरिफ अवैध थे, क्योंकि उन्होंने 1977 के आपातकालीन शक्तियों के कानून (IEEPA) का गलत तरीके से इस्तेमाल किया।
हाल ही में अपीलीय अदालत ने टैरिफ को बनाए रखा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की त्वरित सुनवाई की मांग की है। यह याचिका बुधवार रात इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दायर की गई और उम्मीद है कि आज यानी बृहस्पतिवार को इसे औपचारिक रूप से डॉकेट में शामिल किया जाएगा। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट आज ही इस पर सुनवाई कर सकता है।
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को स्वीकार कर सुनवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय राष्ट्रपति द्वारा पिछले पांच महीनों में लगाए गए टैरिफ और अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर गंभीर प्रभाव डालता है। इस फैसले ने मौजूदा वार्ताओं और पहले से तय किए गए फ्रेमवर्क समझौतों में अनिश्चितता पैदा कर दी है।
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लिबर्टी जस्टिस सेंटर के वरिष्ठ वकील जेफरी श्वाब ने बताया कि यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नहीं है, बल्कि छोटे व्यवसायों की आजीविका पर भी गहरा असर डाल रहा है। उनका कहना है कि ये अवैध टैरिफ छोटे व्यापारों के लिए भारी नुकसान का कारण बन रहे हैं और वे अपने ग्राहकों के हित में इस मामले का जल्द समाधान चाहते हैं।