
तारिक रहमान, (डिजाइन फोटो)
Bangladesh News In Hindi: बांग्लादेश में बीते कुछ दिनों से हालात लगातार बिगड़ते नजर आ रहे हैं। देश के कई प्रमुख इलाकों में हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें खास तौर पर हिंदू समुदाय को निशाना बनाए जाने के आरोप लग रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इन घटनाओं को लेकर चिंता जताई जा रही है। ऐसे संवेदनशील माहौल के बीच बांग्लादेश की राजनीति में गुरुवार, 25 दिसंबर का दिन बेहद अहम माना जा रहा है।
दरअसल, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल बाद अपने देश लौट रहे हैं। उनकी वापसी को मौजूदा राजनीतिक संकट के बीच एक बड़े घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि तारिक की मौजूदगी से न सिर्फ बीएनपी को नई ताकत मिलेगी बल्कि सियासी समीकरणों में भी बदलाव आ सकता है।
तारिक रहमान साल 2007 में उस समय विवादों में आए थे जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद जेल से रिहा होते ही वह इलाज के लिए लंदन चले गए और वहीं रहने लगे। इसके बाद से ही वह लंबे समय तक बांग्लादेश से बाहर निर्वासन जैसी स्थिति में रहे। साल 2016 में जब उनकी मां खालिदा जिया को सजा सुनाई गई तब भी तारिक रहमान लंदन में ही थे। उसी दौरान उन्हें बीएनपी का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया।
लंदन में रहते हुए ही तारिक रहमान पार्टी की रणनीति और संगठनात्मक फैसलों में अहम भूमिका निभाते रहे। अब उनकी वापसी को बीएनपी के लिए एक नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब देश गंभीर राजनीतिक और सामाजिक तनाव से गुजर रहा है।
17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद तारिक रहमान की वापसी को लेकर ढाका में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। राजधानी के पूर्वांचल इलाके में उनके स्वागत के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं। देशभर से बीएनपी के नेता और कार्यकर्ता पहले ही ढाका पहुंचना शुरू कर चुके हैं। पार्टी को उम्मीद है कि तारिक की वापसी के दौरान भारी भीड़ जुट सकती है।
यह भी पढ़ें:- 26/11 से पुलवामा तक… ऑक्सफोर्ड यूनियन में आतंक पर भारत की दो टूक, पाकिस्तान की दलीलें ध्वस्त
तारिक रहमान, बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे हैं। ऐसे में उनका राजनीतिक कद और प्रभाव काफी बड़ा माना जाता है। मौजूदा हालात में उनकी वापसी न सिर्फ बीएनपी के लिए बल्कि पूरे बांग्लादेश की राजनीति के लिए निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।






