
ढाका में पत्रकारों पर बढ़े हमले, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh Journalists Attack: बांग्लादेश में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है देश में हिंसा और अस्थिरता का माहौल लगातार गहराता जा रहा है। राजनीतिक टकराव के बीच सबसे ज्यादा असर मीडिया और पत्रकारों पर देखने को मिल रहा है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि देश में पत्रकार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और प्रेस की आजादी पर सीधे हमले हो रहे हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वरिष्ठ पत्रकार अनीस आलमगीर को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) ने कुछ संवेदनशील मुद्दों से जुड़ी पूछताछ के नाम पर हिरासत में लिया। इसके बाद उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी गई। इस घटना ने पत्रकार संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है।
पिछले कुछ दिनों में पत्रकारों पर हमलों की घटनाओं में तेजी आई है। हफ्ते भर के भीतर ऑन-ड्यूटी पत्रकार रिसान पर हमला किया गया। यह घटना उस समय हुई जब वह ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एक हाई-प्रोफाइल गोलीकांड से जुड़ी जानकारी जुटा रहे थे। बताया गया कि ढाका-8 से निर्दलीय उम्मीदवार और इकबाल मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान बिन हादी को दिनदहाड़े सिर में गोली मार दी गई थी। इसी मामले की रिपोर्टिंग के दौरान छात्र से नेता बने हादी के समर्थकों ने पत्रकार रिसान पर हमला कर दिया।
इससे पहले जुलाई की शुरुआत में, विदेश से आए 88 पत्रकारों, लेखकों, शोधकर्ताओं, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार एक्टिविस्ट्स के एक समूह ने यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में “पत्रकारों पर लगातार अत्याचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाने” को लेकर गंभीर चिंता जताई थी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में कई नामचीन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने देश में बिगड़ते मानवाधिकार हालात पर चिंता व्यक्त की। विशेषज्ञों का आरोप है कि राजनीतिक बदले की भावना से झूठे और मनगढ़ंत मामलों का सहारा लिया जा रहा है, जिसमें पत्रकारों और असहमति रखने वालों को निशाना बनाया जा रहा है।
कनाडा के थिंक टैंक ‘ग्लोबल सेंटर फॉर डेमोक्रेटिक गवर्नेंस (GCDG)’ ने हाल ही में बांग्लादेश इन क्राइसिस ह्यूमन राइट्स, जस्टिस एंड द फ्यूचर ऑफ डेमोक्रेसी विषय पर एक वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया। इस सेमिनार में स्विट्जरलैंड के पब्लिक रेडियो की एडिटर शार्लेट जैक्वेमर्ट ने खुलासा किया कि अगस्त 2024 से जुलाई 2025 के बीच पत्रकारों के खिलाफ 195 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल की तुलना में 550 प्रतिशत अधिक हैं।
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सेमिनार के बाद जारी प्रेस स्टेटमेंट में बताया गया कि इसी अवधि में 878 पत्रकारों को अलग-अलग तरीकों से परेशान किया गया। विशेषज्ञों ने सभी मनगढ़ंत मामलों को तुरंत वापस लेने और गिरफ्तार पत्रकारों को रिहा करने की मांग की है। चुनावी माहौल में बढ़ती हिंसा और दमन ने बांग्लादेश में लोकतंत्र और प्रेस की आजादी के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
(IANS इनपुट के साथ)






