
सांकेतिक तस्वीर
Afghanistan-Pakistan Clash: अफगानिस्तान ने पहली बार स्वीकार किया है कि हाल की पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में वह अपने नागरिकों और सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रहा। तालिबान के शिक्षा मंत्री हबीबुल्लाह आगा ने काबुल में छात्रों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को ‘पंजाब’ कहकर बताया कि अफगानिस्तान उनके हमलों का सामना करने में असमर्थ रहा। उन्होंने कहा कि अब देश की रक्षा केवल कलाश्निकोव राइफल जैसी साधारण हथियारों से संभव नहीं है। इसके लिए आधुनिक तोपखाने, बम और लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है।
हबीबुल्लाह आगा ने कहा कि तालिबान ने पहले कलाश्निकोव राइफलों के दम पर सोवियत और अमेरिकी ताकतवर सेनाओं का मुकाबला किया था, लेकिन अब का दौर बदल चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान की असमर्थता का मुख्य कारण आधुनिक तकनीक और उन्नत सैन्य उपकरणों की कमी है। तालिबानी मंत्री ने बताया कि आमने-सामने की लड़ाई में पाकिस्तान के सैनिक भागने को मजबूर हुए, लेकिन जब उन्होंने रॉकेट दागे तो अफगानिस्तान के पास उनका जवाब देने का कोई साधन नहीं था।
हबीबुल्लाह आगा ने यह भी कहा कि अगर रूस, भारत, ईरान या पाकिस्तान से हथियार हासिल किए जाएं, तो संभावना है कि वे ऐसे उपकरण नहीं देंगे जिनका इस्तेमाल उनके खिलाफ किया जा सके। इसलिए अफगानिस्तान को देश के अंदर ही उच्च गुणवत्ता के हथियार बनाने होंगे और विदेशी निर्भरता कम करनी होगी। तालिबान सरकार बार-बार देश में आधुनिक हथियार और एयर स्पेस पर नियंत्रण स्थापित करने पर जोर दे रही है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल की लड़ाई 2021 के बाद सबसे गंभीर मानी जाती है। पाकिस्तान ने काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले किए और पाकिस्तानी तालिबान (TTP) के ठिकानों पर निशाना बनाया। अफगान तालिबान ने इसे आक्रमण मानते हुए स्पिन बोल्दाक-चमन सीमा पर जवाबी गोलीबारी की। इस संघर्ष में पाकिस्तान के 23 सैनिक मारे गए और 29 घायल हुए, जबकि अफगान पक्ष के 9 सैनिक शहीद और 16 घायल हुए। काबुल में कुछ नागरिक भी प्रभावित हुए।
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इस लड़ाई ने स्पष्ट किया कि अब कलाश्निकोव जैसी साधारण हथियार प्रणाली पर्याप्त नहीं है और देश को आधुनिक सैन्य उपकरण और हवाई शक्ति विकसित करनी होगी। तालिबान ने यह भी संकेत दिया कि अफगानिस्तान की रक्षा के लिए अब उच्च तकनीक और स्वदेशी उत्पादन पर जोर देना जरूरी है, ताकि भविष्य में किसी भी बाहरी हमले का सामना किया जा सके।






