
Shopping Site (सौ. Freepik)
Fake Apps Online Fraud Alert: ऑनलाइन शॉपिंग ऐप्स ने खरीदारी को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है। अब फैशन, ग्रॉसरी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक हर तरह का सामान कुछ ही क्लिक में घर तक पहुंच जाता है। लेकिन जितनी तेजी से डिजिटल शॉपिंग बढ़ी है, उतनी ही तेजी से साइबर ठगी के मामले भी सामने आ रहे हैं। कई बार साइबर अपराधी बिल्कुल असली दिखने वाली नकली शॉपिंग ऐप्स बनाकर लोगों को जाल में फंसा लेते हैं। ऐसे मामलों में न सिर्फ यूजर का निजी डेटा खतरे में पड़ता है, बल्कि बैंक अकाउंट से पैसे भी गायब हो सकते हैं। इसलिए नकली शॉपिंग ऐप्स की पहचान करना बेहद जरूरी हो गया है।
नकली शॉपिंग ऐप्स देखने में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों जैसी ही लगती हैं, लेकिन इनका मकसद सामान बेचना नहीं होता। इन ऐप्स का असली उद्देश्य यूजर्स की क्रेडिट कार्ड डिटेल्स, लॉग-इन आईडी, पासवर्ड और बैंकिंग जानकारी चुराना होता है। कई मामलों में ये ऐप्स मोबाइल में मालवेयर भी इंस्टॉल कर देती हैं, जिससे फोन पर पूरा कंट्रोल मिल जाता है। आमतौर पर ऐसे ऐप्स को सोशल मीडिया लिंक, फेक विज्ञापन या मैसेज के जरिए डाउनलोड कराया जाता है।
नकली शॉपिंग ऐप्स की सबसे बड़ी पहचान उनके असामान्य डिस्काउंट ऑफर्स होते हैं। कई बार ये ऐप्स 70 से 90 प्रतिशत तक की भारी छूट दिखाती हैं। यूजर को सोचने का समय न मिले, इसके लिए इन ऑफर्स पर काउंटडाउन टाइमर भी लगा दिया जाता है। याद रखें, जरूरत से ज्यादा सस्ता ऑफर अक्सर धोखे का संकेत होता है।
फर्जी ऐप्स यूजर से ऐसी परमिशन मांगती हैं, जिनकी शॉपिंग ऐप को कोई जरूरत नहीं होती। जैसे कॉन्टैक्ट्स, लोकेशन या फाइल्स तक पूरा एक्सेस। अगर आपने ऐसी परमिशन दे दी, तो इसका इस्तेमाल डेटा चोरी या यूजर को ट्रैक करने के लिए किया जा सकता है।
असली और भरोसेमंद ऐप्स में स्पेलिंग की गलतियां, खराब ग्राफिक्स या बेकार डिजाइन नहीं होती। वहीं फेक ऐप्स अक्सर स्पेलिंग मिस्टेक, धुंधली इमेज और कमजोर डिजाइन के साथ आती हैं, क्योंकि इन्हें जल्दबाजी में तैयार किया जाता है।
ये भी पढ़े: सोशल मीडिया X पर पीएम मोदी का जादू, आंकड़े देख आप भी चौंक जाएंगे
असली शॉपिंग ऐप्स पेमेंट डिटेल्स को एनक्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रखती हैं। जबकि नकली ऐप्स पेमेंट के समय आपको किसी अनसिक्योर्ड वेब पेज पर रिडायरेक्ट कर देती हैं। ऐसे पेज पर कभी भी भुगतान न करें।






