
पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था चरमराई, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Afghanistan Pakistan Tension: 2025 में पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बिखर गई। जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच पाकिस्तान की सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के 1100 से ज्यादा जवान मारे जा चुके हैं, जो 1971 के बाद सबसे ज्यादा नुकसान है।
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, केवल अक्टूबर 2025 में ही 195 सुरक्षाकर्मी मारे गए, 109 घायल हुए और 15 जवान या तो लापता हैं या तालिबान और पठान उग्रवादियों के कब्जे में हैं। मारे गए जवानों में 8 अधिकारी भी शामिल हैं जिनमें एक एसपी, एक लेफ्टिनेंट कर्नल, तीन मेजर, एक जेसीओ और एक कैप्टन शामिल हैं। इनमें दो SSG कमांडो भी मारे गए हैं, जो पाकिस्तान की एलीट यूनिट का हिस्सा थे।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह 2009 के बाद का सबसे अधिक वार्षिक नुकसान है। सेना और उग्रवादियों के बीच मारे गए लोगों का अनुपात 1:1.6 बताया गया है। अनुमान है कि 2025 के अंत तक यह संख्या 1,300 से 1,400 तक पहुंच सकती है, जबकि जनवरी में इसका अनुमान 1,200 था।
सूत्रों का कहना है कि लगातार बढ़ते हमलों और हताहतों के कारण पाकिस्तानी सेना के भीतर असंतोष बढ़ रहा है। कई अधिकारी सरकार की Dead Body for Dollars नीति से नाराज हैं यानी विदेशी फंडिंग पाने के लिए आतंकी विरोधी कार्रवाई दिखाना। इससे संकेत मिलते हैं कि पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा स्थिति बेहद नाजुक हो चुकी है और इससे पड़ोसी देशों को भी सतर्क रहना होगा।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच भी हाल ही में तनाव बढ़ गया। पाकिस्तान ने पहले अफगान क्षेत्र में मिसाइल हमला किया, जिसके जवाब में अफगानिस्तान ने पलटवार किया। इस झड़प में पाकिस्तान के 58 सैनिकों की मौत हुई। सीमा क्षेत्रों में अब लगातार सैन्य हलचल बनी हुई है।
जहां पाकिस्तान बाहरी मोर्चों पर उलझा है, वहीं देश के भीतर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने मोर्चा खोल रखा है। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल के पहले पांच महीनों में बलूचिस्तान में 370 आतंकी हमले हुए जिनमें सुरक्षा बलों और नागरिकों की मौत हुई। वहीं, TTP के हमलों में जनवरी से अक्टूबर तक 195 सुरक्षाकर्मी मारे गए।
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भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। इस ऑपरेशन में 13 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि कुल हताहतों की संख्या 50 से ज्यादा बताई गई। ऑपरेशन 7 मई को शुरू हुआ और 10 मई को सीजफायर के साथ समाप्त हुआ। कुल मिलाकर, पाकिस्तान अब आतंरिक विद्रोह, सीमाई तनाव और अंतरराष्ट्रीय दबाव तीनों मोर्चों पर कमजोर दिखाई दे रहा है।






