अभिषेक बनर्जी (फोटो- सोशल मीडिया)
कोलकाता: भारतीय सेना की ओर चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में दुनिया को बताने के लिए सरकार ने एक डेलिगेशन का गठन किया है। इस डेलिगेशन में अब तृणमूल कांग्रेस (TMC) शामिल हो गई है। टीएमसी की ओर से अभिषेक बनर्जी इसका हिस्सा होंगे। पहले उनकी जगह यूसुफ पठान का नाम था, लेकिन अब उनकी जगह अभिषेक बनर्जी को शामिल किया गया है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को केंद्र के पास अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को डेलिगेशन में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था। इसे सरकार ने मंजूर कर लिया। इससे पहले सरकार ने टीएमसी सांसद और क्रिकेटर यूसुफ पठान को डेलिगेशन में शामिल किया गया था।
भारत सरकार ने पाकिस्तान की आतंकी सच्चाई को पूरी दुनिया को बताने के मकसद से 51 सांसदों और 8 पूर्व राजनयिकों के 7 डेलिगेशन को अलग-अलग देशों में भेज रही है। 22 मई से डेलिगेशन चार-पांच देशों का दौरा करेगा और आतंकवाद के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के बारे में भारत का पक्ष रखेगा।
इस डेलिगेशन में भाजपा के सांसदों के अलावा विपक्षी पार्टियों जैसे डीएमके, टीएमसी, कांग्रेस, मुस्लिम लीग के नेता भी शामिल हैं। सरकार ने जब डेलिगेशन में शामिल सांसदों का ऐलान किया, तब कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई। कांग्रेस पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के नाम से खुश नहीं थी।
डेलिगेशन में शामिल होने के बाद अभिषेक बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने इसमें शामिल किए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया था। अभिषेक ने सरकार को सुझाव दिया था कि उन्हें इसमें पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिजनों और सेना के अधिकारियों को शामिल करना चाहिए था।
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वहीं, ममता बनर्जी ने भी टीएमसी से बिना राय लिए उनके सांसद यूसुफ पठान और सुदीप बंदोपाध्याय को डेलिगेशन में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। संसदीय पार्टी संसदीय सत्रों के लिए काम करती है। वे नीतिगत फैसले नहीं ले सकते। इसके अगले दिन उन्होंने सांसद अभिषेक बनर्जी का नाम आगे बढ़ाया, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया है। हालांकि यूसुफ और सुदीप इससे पहले ही डेलिगेशन से अपना नाम वापस ले लिया था।