
कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
West Bengal Politics: तृणमूल कांग्रेस के सस्पेंड विधायक हुमायूं कबीर ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वह आने वाले बंगाल विधानसभा में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के साथ अलायंस करेंगे और बंगाल में चुनाव लड़ेंगे। यह ख़बर ममता बनर्जी की टेंशन में इजाफा होना स्वाभाविक है।
हुमायूं कबीर सुर्खियों में तब आए, जब उन्होंने ‘बाबरी मस्जि’ बनाने का ऐलान किय। बीते कल कड़ी सिक्योरिटी के बीच, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रेजिनगर में अयोध्या में बाबरी मस्जिद की तरह की एक मस्जिद की नींव रखी। वहीं आज उन्होंने एक लाख लोगों द्वारा कुरान पढ़ने का भी ऐलान किया।
एक तरफ भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के मोर्चे पर ज़ोरदार अभियान चला रही है। दूसरी तरफ ममता बनर्जी के लिए उनकी ही पार्टी के नेता ने मुश्किलें खड़ी कर दी है। हुमायूं कबीर के दोनों ऐलानों से ममता के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगने का खतरा है। जबकि इसका फायदा बीजेपी और ओवैसी को मिलने वाला है।
2011 की जनगणना के अनुसार, पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में मुस्लिमों का हिस्सा 27 प्रतिशत है। जबकि वर्तमान में अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा 30-31 फीसदी तक पहुंच चुका है। मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा 66 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। इसके अलावा मालदा में 51 प्रतिशत और उत्तर दिनाजपुर में 50 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या है।
पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटे हैं। जिनमें से 100 से 120 ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता हार-जीत तय करते हैं। इसके अलावा 70 से 75 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां, मुस्लिम आबादी 40-50 फीसदी या उससे भी ज्यादा है। यहां सीधे तौर पर उनका प्रभुत्व माना जाता है।
ममता बनर्जी (सोर्स- सोशल मीडिया)
हुमायूं कबीर और ओवैसी की जोड़ी साथ उतरती है तो सबसे बड़ा नुकसान ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को होने वाला है। जबकि बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में पैर जमाने की कोशिश कर रही AIMIM को भी फायदा पहुंचेगा। इसके साथ ही दो की लड़ाई में सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को पहुंचेगा।
अब अगर ममता हुमायूं कबीर का विरोध करती हैं तो मुस्लिम समुदाय में संदेश जाएगा कि ‘दीदी’ अब सॉफ्ट हिन्दुत्व की राह पर हैं। यह संदेश उनके कोर वोट बैंक मुस्लिम ओवैसी की पार्टी और हुमायूं कबीर के गठबंधन की तरफ खिसक सकता है। कुछ वोट आईएसएफ के हिस्से भी आने की संभावना है।
यह भी पढ़ें: हुमायूं कबीर का बांग्लादेश से है कनेक्शन…बैंक खाते में आए करोड़ों रुपये? सामने आ गई असलियत
दूसरी तरफ यदि ममता चुप रहती हैं तो बीजेपी यह प्रचारित करेगी कि ममता तुष्टिकरण कर रही हैं और हिन्दुओं के खिलाफ हैं। परिणामस्वरूप हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में और तेज होगा। ऐसे में ममता बनर्जी इस समय इधर कुआं, उधर खाई वाले हालात में हैं। बीजेपी उन्हें ‘एंटी-हिन्दू’ साबित करने पर तुली है और हुमायूं कबीर उन्हें ‘मुस्लिम विरोधी’ साबित करने में जुटी हैं।
फिलहाल ये तो हालिया समीकरणों और आंकड़ों का विश्लेषण है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अभी 3 महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है। सियासी उंट कब किस करवट पलट जाए इसका अंदाजा लगाना सर्वथा मुश्किल होता है। ऐसे में आगे क्या होगा यह देखना दिलचस्प होने वाला है।






