कोलकाता केस: (सोर्स-सोशल मीडिया)
कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता के मामले में 17 दिनों से धर्मतला में भूख हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार रात अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली। डॉक्टरों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पीड़िता के माता-पिता के अनुरोध पर भूख हड़ताल वापस ले ली गई है। इसके साथ ही डॉक्टरों ने मंगलवार को होने वाली सामूहिक हड़ताल भी वापस ले ली है।
गौरतलब है कि जूनियर डॉक्टर पांच अक्टूबर से धर्मतला में आमरण अनशन पर थे। इसके साथ ही उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में भी भूख हड़ताल चल रही थी। डॉक्टर 10 सूत्री मांगों को लेकर अड़े थे। जिसे खत्म करने को लेकर सीएम ममता बनर्जी के साथ बैठक भी हुई थी लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका था।
इससे पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद पिछले 17 दिनों से जूनियर डॉक्टरों की जारी भूख हड़ताल के बीच सोमवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जूनियर डॉक्टरों के बीच करीब दो घंटे तक बैठक हुई। डॉक्टरों की भूख हड़ताल के 17वें दिन नवान्न (सचिवालय) में वार्ता हुई। पहली बार इसका सीधा प्रसारण किया गया।
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बैठक में मुख्यमंत्री ने जूनियर डॉक्टरों से अनशन समाप्त करने की अपील की। उन्होंने कहा कि उनकी अधिकांश मांगों का समाधान कर दिया गया है, हालांकि उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग को खारिज कर दिया। दोनों पक्ष मौजूदा डराने-धमकाने की संस्कृति पर सहमत थे, लेकिन इसके पीछे के कारणों और परिस्थितियों पर उनके विचार अलग-अलग थे।
स्वास्थ्य सचिव निगम को हटाने की मांग को लेकर ममता बनर्जी ने कहा कि बिना ठोस सबूत के उन्हें डराने-धमकाने की संस्कृति का समर्थक कहना गलत है। आप बिना ठोस सबूत के किसी व्यक्ति को आरोपी नहीं कह सकते। पहले आपको सबूत देने होंगे, उसके बाद ही आप किसी व्यक्ति को आरोपी कह सकते हैं। इस पर आंदोलनकारी डॉक्टर ने जवाब दिया कि कानून के मुताबिक, किसी व्यक्ति को तब तक आरोपी कहा जा सकता है, जब तक कि वह दोषी साबित न हो जाए।
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बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज से कई जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों को उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना निलंबित कर दिया गया। इन छात्रों या रेजिडेंट डॉक्टरों को केवल शिकायतों के आधार पर कैसे निलंबित किया जा सकता है। कॉलेज प्रशासन को राज्य सरकार को सूचित किए बिना ऐसा कदम उठाने का अधिकार किसने दिया। क्या यह डराने-धमकाने की संस्कृति नहीं है।