
हुमायूं कबीर एवं ममता बनर्जी (सोर्स- सोशल मीडिया)
West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नई बाबरी मस्जिद का शिलान्यास करने वाले विधायक हुमायूं कबीर ने अपनी नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। उन्होंने अपनी पार्टी का नाम जनता उन्नयन पार्टी (पीपल्स डेवलपमेंट पार्टी) रखा है। हुमायूं ने घोषणा की है कि वह अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ेंगे।
हुमायूं कबीर पहले ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का हिस्सा थे, लेकिन जब उन्होंने बाबरी मस्जिद बनाने का ऐलान किया था, तो उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था। अब जब उन्होंने नई पार्टी बना ली है, तो सवाल यह उठता है कि हुमायूं कबीर ममता बनर्जी की मुस्लिम राजनीति के लिए कितनी मुश्किलें खड़ी करेंगे।
जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, हिंदू-मुस्लिम राजनीति तेज हो गई है। मुर्शिदाबाद जिला इस राजनीतिक गतिविधि का मुख्य केंद्र बन गया है। यहां TMC से निकाले गए हुमायूं कबीर मुसलमानों के बीच अपना राजनीतिक आधार मजबूत करने में लगे हुए हैं।
6 दिसंबर को हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के बेलडांगा इलाके में एक नई बाबरी मस्जिद का शिलान्यास किया। शिलान्यास के ऐलान के बाद ही ममता बनर्जी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद हुमायूं कबीर ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया, जिसकी औपचारिक घोषणा उन्होंने सोमवार को मुर्शिदाबाद के रेजीनगर में एक रैली में की।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सिर्फ आम लोगों के विकास पर ध्यान देगी, इसीलिए इसका नाम जनता उन्नयन पार्टी (पीपल्स डेवलपमेंट पार्टी) रखा गया है। उन्नयन का मतलब ही विकास होता है। उन्होंने कहा कि पार्टी के चुनाव चिन्ह के लिए उनकी पहली पसंद टेबल और दूसरी पसंद गुलाब के फूलों का जोड़ा है।
हुमायूं कबीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
हुमायूं कबीर ने यह भी घोषणा की है कि वह बंगाल की सभी 294 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उनका दावा है कि वह बंगाल की राजनीति में किंगमेकर बनकर उभरेंगे। हुमायूं के अनुसार, वह बंगाल में BJP और TMC दोनों के खिलाफ लड़ेंगे और उन्होंने कांग्रेस, CPI(M) और ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया है।
हुमायूं ने दावा किया है कि वह मुर्शिदाबाद में 10 सीटें जीतेंगे। मुर्शिदाबाद की 22 सीटों में से TMC के पास 20 सीटें हैं, जबकि BJP ने 2 सीटें जीती थीं। इस बार हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद की राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया है। हालांकि, हुमायूं कबीर ने कहा है कि उनकी पार्टी न सिर्फ बीजेपी बल्कि ममता बनर्जी की TMC से भी मुकाबला करेगी।
मुसलमानों को संबोधित करते हुए हुमायूं कबीर ने कहा, “अब मुसलमान ममता से गुमराह नहीं होंगे, क्योंकि वे समझ गए हैं कि ममता सिर्फ़ उनके वोट लेती हैं लेकिन उनके लिए कुछ नहीं करतीं।” इस तरह हुमायूं कबीर मुसलमानों तक जो राजनीतिक संदेश पहुंचाना चाह रहे हैं वह जमीन पर असर दिखा रहा है।
हुमायूं कबीर ने अपनी राजनीतिक दिशा तय करने के लिए बाबरी मस्जिद मुद्दे का इस्तेमाल किया है। बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण के वादे को बहाना बनाकर, हुमायूं कबीर ने शुरू में मुर्शिदाबाद में मुस्लिम वोटों को एकजुट करने का लक्ष्य रखा था और अब एक नई पार्टी बनाकर वह पूरे बंगाल में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं। इस तरह वह बंगाल के 30 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक को निशाना बना रहे हैं, जो फिलहाल ममता बनर्जी का मुख्य समर्थन आधार है।
हुमायूं कबीर की राजनीति ममता बनर्जी के लिए चिंता का कारण बन गई है। हुमायूं कबीर अपनी पार्टी बनाकर ममता को चुनौती देना चाहते हैं। यह घटनाक्रम बंगाल की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। मुर्शिदाबाद में 70 प्रतिशत से ज़्यादा मुस्लिम आबादी है। यहां का मुस्लिम वोट बैंक तय करता है कि विधायक कौन बनेगा। इस संदर्भ में, हुमायूं कबीर खुद को मुसलमानों के नेता के तौर पर स्थापित कर रहे हैं।
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बंगाल में लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं, जो राज्य की 294 सीटों में से लगभग 100 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2010 से बंगाल में मुस्लिम वोटरों को TMC का मुख्य वोट बैंक माना जाता रहा है। ममता बनर्जी की लगातार तीन जीत में मुस्लिम वोटरों ने अहम भूमिका निभाई है, लेकिन बाबरी मस्जिद का मुद्दा मुस्लिम वोटों को बांट सकता है।
हुमायूं कबीर का कदम ममता बनर्जी की TMC के लिए मुश्किलें पैदा करता दिख रहा है, क्योंकि अब वह एक नई पार्टी बनाने और उन्हें सीधे चुनौती देने का दावा कर रहे हैं। हुमायूं कबीर की नई पार्टी TMC के लिए ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाले जिलों में एक चुनौती बन सकती है।
ममता बनर्जी (सोर्स- सोश मीडिया)
हुमायूं कबीर का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी ने मुसलमानों का सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है और उन्हें कई चीज़ों से वंचित रखा है। वह कहते हैं कि वह उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएंगे। उनका दावा है कि अभी कोई उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहा है, लेकिन जल्द ही लोगों को पता चल जाएगा कि हुमायूं कबीर कौन हैं।
बाबरी मस्जिद का मुद्दा और उनकी नई पार्टी का बनना, दोनों ही तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ी सिरदर्दी बन सकते हैं। सवाल यह है कि क्या हुमायूं का यह दांव उन्हें बंगाल की राजनीति में एक अहम खिलाड़ी बनाएगा या यह सिर्फ सियासी शोर-शराबा बनकर रह जाएगा।






