ममता बनर्जी, फोटो- सोशल मीडिया
West Bengal Cabinet Meeting: पश्चिम बंगाल कैबिनेट की बैठक में सबसे बड़ा निर्णय पुरानी और बेकार पड़ी औद्योगिक जमीनों को रियल एस्टेट और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति देना है। इसके साथ कई और मुद्दों पर चर्चा हुई।
यह नई नीति शहरी विकास और नगरपालिका विभाग के अधीन आने वाले उन गैर-आवासीय प्लॉट्स पर लागू होगी, जो फिलहाल उपयोग में नहीं हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह नीति उन जमीनों को नए सिरे से उपयोग में लाने का अवसर देगी, जो दशकों से खाली पड़ी हैं या औद्योगिक इकाइयों के कर्मचारियों के लिए लीज़ पर दी गई थीं लेकिन अब निष्क्रिय हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि इस नीति के तहत इन जमीनों के उपयोग में बदलाव के लिए एक निश्चित फीस ली जाएगी, जो सरकार तय करेगी। इसके साथ ही, कुछ हफ्तों में इस योजना के कार्यान्वयन को लेकर विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की जाएगी। अधिकारी की मानें तो इस कदम से रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है और साथ ही राज्य के शहरी इलाकों में आवासीय ढांचे को भी मजबूती मिल सकती है।
इस नीति के अलावा भी राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्वीकृति दी। प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 18 नए पदों के सृजन को हरी झंडी दी गई है। ये पद वित्त, मत्स्य पालन, महिला और बाल विकास जैसे विभागों में होंगे। इसके साथ ही, राज्यपाल कार्यालय में दो अस्थायी वरिष्ठ स्तर के विशेष कार्य अधिकारी (OSD) की नियुक्ति का भी निर्णय लिया गया है।
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग स्टाफ की बड़े पैमाने पर भर्ती को भी मंजूरी दी गई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। शिक्षा क्षेत्र में भाषा आधारित पहल के तहत उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और जलपाईगुड़ी जिलों में कामतापुरी और राजबंशी भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा शुरू करने की अनुमति दी गई है। शुरुआत में 12 पैरा-शिक्षकों की भर्ती की जाएगी, जिनमें से 10 कामतापुरी और 2 राजबंशी भाषा के स्कूलों में नियुक्त किए जाएंगे।
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राज्य सरकार ने रामकृष्ण परमहंस और शारदा देवी के जन्मस्थलों से जुड़े क्षेत्रों के विकास के लिए एक विशेष विकास बोर्ड के गठन की भी मंजूरी दी है। यह बोर्ड सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से जुड़े विशेष प्रोजेक्ट्स पर काम करेगा।