रामकृष्ण परमहंस (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
Death Anniversary Of Ram Krishan Paramhans: रामकृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद को विवेकानंद बनाने वाले आध्यात्मिक गुरू राम कृष्ण की आज पुण्यतिथि है। रामकृष्ण परमहंस देश की आध्यात्मिक चेतना के प्रकाश पुंज माने जाते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर देश भर के नेता उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्य स्तरीय सभी अच्छे नेता उन्हें याद करते हुए, यह मानते हैं कि आध्यात्म के क्षेत्र में स्वामी परमहंस हमेशा एक बड़ा नाम रहे हैं और आगे भी रहेंगे। आध्यात्मिक गुरू के रूप में भारतीय विरासत हमेशा उन्हें याद करती है और आगे भी करती रहेगी।
आज के इस विशेष दिन पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वामी जी को याद करते हुए उनके योगदान के लिए सराहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए समाज के प्रति समर्पण के लिए उन्हें याद किया। उन्होंने लिखा, “स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने साधना, सत्य और सेवा को अपने जीवन का ध्येय बनाया।
उन्होंने शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को सहज भाषा में जन-जन तक पहुंचाया। उनकी तपस्या और विचार आज भी युवाओं को राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पण के लिए प्रेरित करते हैं।” उन्होंने स्वामी जी को उनकी पुण्यतिथि पर वंदन किया।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक्स पर लिखा, “अपनी शिक्षा एवं विचारों से संपूर्ण जगत को धर्म और अध्यात्म का मार्ग दिखाने वाले रामकृष्ण परमहंस जी ने देश को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र अभिवादन। उनके विचार सदैव मार्गदर्शन करते रहेंगे।”
वहींं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लिखा, “मां महाकाली के अनन्य भक्त, आध्यात्मिक गुरु, श्रद्धेय स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने श्रद्धा-भक्ति के साथ मानव कल्याण को प्रभु प्राप्ति का माध्यम बताकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया। तप, योग और ध्यान की त्रिवेणी उनकी आध्यात्मिक यात्रा प्रेरणा देती रहेगी।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी स्वामी जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “स्वामी रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं आत्मज्ञान, भक्ति और अध्यात्म के पथ को आलोकित करती हैं और युगों-युगों तक मानव समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी।”
8 फरवरी, 1836 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में जन्मे रामकृष्ण का जीवन केवल भक्ति तक सीमित नहीं था, वे एक कुशल शिक्षक भी थे। उनकी सरल भाषा में दी गई शिक्षाएं गहन दार्शनिक सत्य को प्रकट करती थीं। 16 अगस्त, 1886 में, गले के कैंसर की वजह से रामकृष्ण ने कोलकाता के काशीपुर में अंतिम सांस ली।
(एजेंसी इनपुट)