जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 72वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ स्थित सिविल अस्पताल में उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि डॉ. मुखर्जी अखंड भारत के प्रतीक और भारत माता के सच्चे सेवक थे। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के स्वप्नदृष्टा थे और स्वतंत्र भारत के पहले कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने दूरदर्शी नेतृत्व से देश को नई दिशा दी। औद्योगिक नीति के निर्माण में उनका योगदान ऐतिहासिक रहा। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 1952 के पहले आम चुनाव के बाद तत्कालीन सरकार ने संविधान में धारा 370 लागू करके राष्ट्रीय एकता को चुनौती दी। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम लागू किया गया, जिससे देश की सुरक्षा और अखंडता को आघात पहुंचा। डॉ. मुखर्जी ने इसके विरोध में ‘एक देश, एक प्रधान, एक विधान और एक निशान’ का उद्घोष करते हुए कश्मीर की ओर कूच किया, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अंततः 23 जून 1953 को जम्मू-कश्मीर की जेल में उन्होंने देश की एकता के लिए बलिदान दे दिया।
जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 72वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ स्थित सिविल अस्पताल में उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि डॉ. मुखर्जी अखंड भारत के प्रतीक और भारत माता के सच्चे सेवक थे। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के स्वप्नदृष्टा थे और स्वतंत्र भारत के पहले कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने दूरदर्शी नेतृत्व से देश को नई दिशा दी। औद्योगिक नीति के निर्माण में उनका योगदान ऐतिहासिक रहा। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 1952 के पहले आम चुनाव के बाद तत्कालीन सरकार ने संविधान में धारा 370 लागू करके राष्ट्रीय एकता को चुनौती दी। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम लागू किया गया, जिससे देश की सुरक्षा और अखंडता को आघात पहुंचा। डॉ. मुखर्जी ने इसके विरोध में ‘एक देश, एक प्रधान, एक विधान और एक निशान’ का उद्घोष करते हुए कश्मीर की ओर कूच किया, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अंततः 23 जून 1953 को जम्मू-कश्मीर की जेल में उन्होंने देश की एकता के लिए बलिदान दे दिया।