सीएम योगी आदित्यनाथ (डिजाइन फोटो)
UP Politics: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने 2027 को लेकर रणनीतिक स्तर पर काम शुरू कर दिया है। साथ ही लोकसभा चुनाव में हुई भूल को सुधारने पर भी जोर दिया जा रहा है। क्योंकि 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में दूसरे नंबर पर आई थी। जिसका दंश अब भी चुभ रहा है।
यही वजह है कि अब प्रदेश सरकार के मंत्रियों की जिला बैठकों में संघ को प्राथमिकता मिलेगी। योगी सरकार अब नाम मात्र गठित जिला कोर कमेटियों को सक्रिय कर रही है। इन कमेटियों की मासिक बैठक होगी। प्रभारी मंत्री मौजूद रहेंगे। कार्यकर्ताओं और अन्य व्यवस्थागत मुद्दों पर चर्चा होगी। समाधान के लिए प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
नए निर्देशों के मुताबिक, कोर कमेटियों की बैठकों में आरएसएस के दो प्रतिनिधियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। लोकसभा चुनाव के दौरान संघ और उससे जुड़े संगठन पहले की तरह सक्रिय नहीं दिखे। इसके और भी कारण रहे होंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा।
बीजेपी न केवल 64 सीटों से घटकर 33 पर आ गई, बल्कि राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी भी बन गई। अब स्थिति में काफी बदलाव होता दिख रहा है। मौजूदा हालात में संघ और भाजपा दोनों एक-दूसरे की अहमियत समझ रहे हैं। यही वजह है कि अब समन्वय पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2027 की तैयारी और विपक्ष के पीडीए एजेंडे को कुंद करने के लिए पूरी सरकारी मशीनरी को सक्रिय कर दिया है। पार्टी ने जिलों में जनप्रतिनिधियों और भाजपा संगठन के पदाधिकारियों की कोर कमेटियां भी बनाई हैं। हालांकि, ये कोर कमेटियां लगभग पूरे राज्य में निष्क्रिय हैं। इनकी बैठकें नहीं होतीं।
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कई जिलों में जनप्रतिनिधियों और संगठन के कामकाज में विरोधाभास है। मुख्यमंत्री ने मासिक कोर कमेटियों की बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इन बैठकों में आरएसएस के सदस्यों को अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाएगा। इसके अलावा, प्रभारी मंत्रियों को संघ परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के साथ नियमित संवाद बनाए रखने के लिए कहा गया है।