वह भारत के पहले हरियाणवी मुख्य न्यायाधीश होंगे, जो 24 नवंबर को 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे और 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। उनका यह सफर हरियाणा के हिसार जिले के छोटे से गांव पेटवार से शुरू हुआ। उनका बचपन सुविधाओं से दूर बीता; उन्होंने लालटेन की लौ में पढ़ाई की और गांव के उस स्कूल में पढ़े जहां बेंच तक नहीं थी। वे खाली समय में खेतों में काम करके परिवार का हाथ बंटाते थे। उन्होंने 1984 में लॉ की पढ़ाई पूरी की और 2004 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने।
सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून पर रोक लगाने और बिहार में एसआईआर के बाद हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण मांगने जैसे पारदर्शिता वाले फैसले दिए हैं। उनका सफर सीमित संसाधनों वाले युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
वह भारत के पहले हरियाणवी मुख्य न्यायाधीश होंगे, जो 24 नवंबर को 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे और 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। उनका यह सफर हरियाणा के हिसार जिले के छोटे से गांव पेटवार से शुरू हुआ। उनका बचपन सुविधाओं से दूर बीता; उन्होंने लालटेन की लौ में पढ़ाई की और गांव के उस स्कूल में पढ़े जहां बेंच तक नहीं थी। वे खाली समय में खेतों में काम करके परिवार का हाथ बंटाते थे। उन्होंने 1984 में लॉ की पढ़ाई पूरी की और 2004 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने।
सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून पर रोक लगाने और बिहार में एसआईआर के बाद हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण मांगने जैसे पारदर्शिता वाले फैसले दिए हैं। उनका सफर सीमित संसाधनों वाले युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।






