छोटे सिंह (सोर्स- सोशल मीडिया)
Jalaun News: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले की एक अदालत ने दो सगे भाइयों की हत्या के 31 साल पुराने मामले में पूर्व बसपा विधायक और वर्तमान भाजपा नेता छोटे सिंह को आजीवन कारावास और जुर्माने की सज़ा सुनाई है। चुर्खी थाना प्रभारी निरीक्षक रमाकांत सिंह ने पुष्टि की है कि कालपी सीट से पूर्व विधायक छोटे सिंह को आजीवन कारावास और 71,000 रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई गई है।
अभियोजन पक्ष के वकील कर्मेंद्र सिंह ने यहां बताया कि 30 मई, 1994 को प्रधानी चुनाव की रंजिश में छोटे सिंह और छह अन्य लोगों ने दो सगे भाइयों रामकुमार और जगदीश प्रसाद की हत्या कर दी थी। मामले की लंबी सुनवाई के दौरान, छोटे सिंह 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर कालपी सीट से विधायक चुने गए।
कर्मेंद्र सिंह ने बताया कि 2009 में तत्कालीन बसपा सरकार ने उनके खिलाफ मामला वापस ले लिया था। लेकिन पीड़ित पक्ष ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद छोटे सिंह का नाम फिर से मामले में आरोपी के रूप में शामिल कर लिया गया।
उन्होंने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश भारतेंदु सिंह ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्व विधायक छोटे सिंह को हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 71,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जबकि अन्य छह आरोपियों ने हाईकोर्ट से स्थगन आदेश ले रखा है। इसलिए उनके खिलाफ मुकदमा अभी चल रहा है।
30 मई 1994 को चुर्खी थाना क्षेत्र के बिनौरा वैद गांव निवासी रामकुमार ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपने भाई जगदीश शरण, राजकुमार उर्फ राजा भैया व अन्य परिजनों के साथ घर के बरामदे में बैठा था। इसी दौरान गांव के ही रुद्रपाल सिंह उर्फ लल्ले गुर्जर, राजा सिंह, संतवन सिंह गुर्जर, करन सिंह उर्फ कल्ले व कई अन्य लोग हथियारों से लैस होकर घर में घुस आए और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
इसमें राजकुमार व जगदीश शरण की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य घायल हो गया। पुलिस ने विवेचना में छोटे सिंह चौहान व अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए छोटे सिंह ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।
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बाद में 2007 में वे बसपा से कालपी के विधायक भी बने। इसी बीच उन्हें हाईकोर्ट से ज़मानत मिल गई और राज्यपाल ने मुकदमा वापस लेने का आदेश दिया। लेकिन वादी सुप्रीम कोर्ट गए, जहाँ राज्यपाल के आदेश को रद्द कर दिया गया और मुकदमे की सुनवाई दोबारा करने का आदेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाल ही में उरई अपर सत्र न्यायालय/ईसी एक्ट कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।