अखिलेश यादव (सोर्स: एएनआई)
नई दिल्लीः समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने को आतुर अखिलेश यादव की महाराष्ट्र की सियासत में दिलचस्पी बढ़ गई है। दरअसल लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतने के बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने तय किया था कि सपा को क्षेत्रीय से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने का हर संभव प्रयास करेंगे। जम्मू-कश्मीर के बाद अब सपा महाराष्ट्र में अपनी सियासी जमीन बनाने की कवायद में है। कयास लगाए जा रहा है कि अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों पर सपा की नजर है। विधानसभा चुनाव में पार्टी 18-20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इसी को लेकर सपा सुप्रीमों 18 अक्टूबर को दो दिवसीय दौरे पर महाराष्ट्र आ रहे हैं।
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हालांकि इससे पहले इसी महत्वाकांक्षा को लेकर अखिलेश ने हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था। ‘INDIA’गठबंधन का अहम हिस्सा होने के नाते सपा सुप्रीमो की मंशा थी कि कांग्रेस के साथ गठबंधन में हरियाणा का चुनाव लड़ें, लेकिन कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप ने ऐसे किसी भी गठबंधन से इंकार कर दिया। जिसके कारण सपा हरियाणा में चुनाव नहीं लड़ पाई। कुछ ऐसी खबरें अंदरखाने से आई थी कि भूपेंद्र हुड्डा सपा को 1 एक सीट देने को तैयार हैं, लेकिन तबतक गठबंधन के लिए देर हो चुकी थी।
जम्मू-कश्मीर में नहीं बची जमानत
वहीं पिछले एक दशक से ज्यादा समय से जम्मू कश्मीर में जमीन तलाश रही सपा की हालत पतली होती जा रही है। 2024 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। जिनमें से कोई भी उम्मीदवार जमानत बचा पाने सफल नहीं हुआ। पार्टी को कुल वैध मतों के 0.14% मत मिले। ऐसे में अखिलेश यादव का सपा को राष्ट्रीप पार्टी का दर्जा दिलवाने का सपना धूमिल हो ही रहा था कि महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। जिससे सपा कार्यकार्ताओं के चेहरे एक बार फिर खिल उठे हैं। हालांकि आने वाला वक्त ही बताएगा कि सपा ने इस मौके को कितना भुनाया।
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राष्ट्रीय पार्टी बनने का पैमाना
चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए कुछ पैमाने तय किए हैं। जिसके मुताबिक किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए चार या उससे ज्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है। इसके साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं। इसके अलावा उस पार्टी के कम से कम चार उम्मीदवार किसी राज्य या राज्यों से सांसद चुने जाएं। या वह पार्टी कम से कम चार राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल कर ले। या वह पार्टी लोकसभा की कुल सीटों में से कम से कम दो प्रतिशत सीटें जीत जाए. वह जीते हुए उम्मीदवार तीन राज्यों से होने चाहिए।