गिरफ्तार आरोपी (फोटो- सोशल मीडिया)
Lucknow Cyber Fraud Gang: उत्तर प्रदेश पुलिस ने राजधानी लखनऊ में चल रहे एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है। लखनऊ की गुडंबा पुलिस ने इलाके के एक फ्लैट पर छापेमारी करके 16 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस को उनके पास से 1 करोड़ 7 लाख रुपये नकद, कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, लैपटॉप, नोट गिनने की मशीन, 79 एटीएम कार्ड, चेकबुक और पुराने नोट जब्त किए हैं।
यह लखनऊ में साइबर अपराध के मामलों में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। पुलिस आयुक्त अमरेंद्र कुमार सेंगर ने बताया कि, गुडंबा पुलिस को सूचना मिली थी कि सृष्टि अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 403 में एक अवैध कॉल सेंटर संचालित हो रहा है। पुलिस ने मौके पर छापा मारा और ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग ऐप्स के जरिए लोगों से ठगी करने वाले इस गिरोह को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
पुलिस आयुक्त सेंगर ने बताया कि यह गिरोह लोगों को आर्थिक लाभ का लालच देकर ‘लोटस’, अन्य बेटिंग ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से विभिन्न राज्यों के नागरिकों को ठगता था। गिरोह के हर सदस्य की भूमिका अलग-अलग थी। कोई फर्जी बैंक खाते खोलता था, तो कोई ट्रांजेक्शन करता था ताकि पुलिस की निगरानी से बचा जा सके।
Zero Tolerance Against Fraudsters
फर्जी ऑनलाइन बेटिंग गेमिंग के माध्यम से ठगी करने वाले गिरोह के 16 अभियुक्तों को @lkopolice द्वारा गिरफ्तार करते हुए उनके कब्जे से ₹1.07 करोड़ नकद, 3 लैपटॉप, 2 नोट गिनने की मशीन, 79 ATM कार्ड, 13 चेकबुक, 22 पासबुक, 54 मोबाइल फोन, 2 टैबलेट व 14… pic.twitter.com/Z8tOtLcfjW
— UP POLICE (@Uppolice) July 23, 2025
पुलिस आयुक्त ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम को 1 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई है। साथ ही गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है और जल्द ही और गिरफ्तारियां होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि, पकड़े गए 16 अपराधियों में 12 छत्तीसगढ़ और चार गुजरात के रहने वाले हैं। ये सभी गुडंबा के स्मृति अपार्टमेंट के एक फ्लैट में किराए पर रह रहे थे और वहीं के ठगी के खेल को अंजाम दे रहे थे।
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पुलिस ने बताया कि, छापेमारी के दौरान टीम मौके से विभिन्न राज्यों के लोगों के पासबुक बरामद हुए हैं। इन पासबुकों का इस्तेमाल कमीशन के आधार पर पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था। यह गिरोह अक्सर छोटे मूल्यवर्ग के नोटों पर लिखे नंबरों का इस्तेमाल ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) के रूप में करता था। जब पैसे जमा हो जाते थे, तो उन्हें ठिकाने लगाने के लिए जिस व्यक्ति को पैसे भेजने होते थे, उसे किसी एक छोटे नोट पर लिखा हुआ नंबर ओटीपी के रूप में भेज दिया जाता था।